आज बुद्ध पूर्णिमा है। पुराणों में इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 18 मई को मनाई जा रही है। मान्यता के अनुसार इस दिन नदियों और सरोवरों में स्नान के बाद दान पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से अपार सुख और लाभ की प्राप्ति होती है।
भगवान गौतम बुद्ध की जयंती के अवसर को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। इसे वैसाख महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म 563 ई. पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी, नेपाल में हुआ था। मान्यता के अनुसार आज के ही दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व
बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का बहुत महत्त्व होता है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत जैसे कई देशों में रहते हैं और इस दिन को बहुत धूम- धाम से मनाते हैं बौद्ध धर्म के अलावा हिन्दू धर्म के लोग भी बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्त्व मानते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध हरि विष्णु का नौवां अवतार हैं। हिन्दू धर्म के लोग इस दिन सुबह-सुबह श्री हरि विष्णु की पूजा करते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन धर्मराज की पूजा को भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि मृत्यु देव धर्मराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर कम हो जाता है।
क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा?
कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने जीवन के बारे में जान कर मोह माया त्याग दी और अपने गृहस्थ जीवन से मुक्ति ले कर जीवन के सत्य की खोज में निकल पड़े। उन्होंने कई सालों तक बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या की जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई तो यह दिन पूरी सृष्टि के लिए खास दिन बन गया। इसी दिन को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 18 मई 2019 को सुबह 04 बजकर 10 मिनट से शुरू होगी, जो आगे दिन तक चलेगी। इसका समापन 19 मई 2019 को सुबह 02 बजकर 41 मिनट पर होगा।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करें?
कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इस दिन मठों में इकट्ठे होकर प्रार्थना करनी चाहिए। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बौद्ध धर्म के लोग मंदिरों में भगवान बुद्ध की मूर्ति के अगरबत्ति और मोमबत्तियां जलाकर प्रार्थना करते हैं।
भगवान बुद्ध की पूजा के अलावा इस दिन दान- पुण्य करने का भी बहुत महत्त्व होता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन रीबों में कपड़े और खाना बांटना चाहिए। एक स्टील या चांदी के लोटे में जल भर कर उसमें कच्चा दूध, मिश्री और गंगाजल मिलाएं तथा पीपल की जड़ में अर्पित करें। लक्ष्मी नारायण भगवान को तुलसी डालकर खीर का भोग लगाएं। इसके बाद खीर गरीबों में बांट दें।
मान्यता के अनुसार आज के दिन तिल और चीनी का दान किया जाता है। ऐसा करने से अनजाने में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है। आज के दिन पिंजरे में बंद पक्षियों को आजाद किया जाता है। नदियों में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।