Budget 2019-20 : बजट को समझना है आसान, पढ़िए ये 9 अहम बातें

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Budget 2019-20 : बजट को समझना है आसान, पढ़िए ये 9 अहम बातें

Union Budget 2019-20: बीते शनिवार को वित्त मंत्रालय में परंपरागत हलवा रस्म का आयोजन हुआ, जिसके बाद बजट 2019-20 दस्तावेजों की छपाई की औपचारिक शुरुआत की गई। हलवा रस्म के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मौजूद रहीं और उनके साथ अनुराग ठाकुर भी दिखे।

आम बजट 5 जुलाई को पेश होने जा रहा है। ऐसे में बजट से जुड़ी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। वैसे तो बजट एक जटिल विषय है और इसे समझना मुश्किल होता है, लेकिन अगर आप इससे जुड़े कुछ खास फैक्ट्स के बारे में जानते हैं तो इसे समझना खासा आसान हो जाएगा। पढ़िए 9 अहम फैक्ट्स…


1. क्या होता सरकारी कर्ज या पब्लिक डेट (Public Debt)

सरकार द्वारा सरकारी कर्ज या सरकारी कर्ज का वितरण क्रमशः साल के दौरान लिया जाने वाला कर्ज या कर्ज का वितरण होता है।
कर्ज लेने और वितरण के बीच के अंतर को सरकारी कर्ज कहा जाता है। सरकारी कर्ज को आंतरिक या बाह्य के बीच बांटा जा सकता है। आंतरिक का मतलब देश के भीतर से लिया गया कर्ज और बाह्य कर्ज गैर भारतीय स्रोतों से लिया गया कर्ज होता है।

2. क्रय क्षमता (Purchasing Power Parity)

इसका उद्देश्य एक देश से दूसरे देश में खरीद क्षमता तय करना है, जो दो देशों के बीच एक्सचेंज रेट के आधार पर निर्भर होती है। दूसरे शब्दों में विभिन्न देशों में आय के स्तर की तुलना के लिए परचेजिंग पावर पैरिटी का इस्तेमाल किया जाता है। पीपीपी से हर देश से जुड़े डाटा को समझना आसान हो जाता है।


3.क्या होता है सॉवरेन रिस्क (Sovereign Risk)

एक देश सॉवरेन यानी स्वायत्त इकाई होता है। एक सरकार के कर्ज चुकाने या लोन एग्रीमेंट का पालन नहीं किए जाने को सॉवरेन रिस्क कहा जाता है। एक सरकार द्वारा आर्थिक या राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति में यह किया जाता है। एक सरकार कानूनों में बदलाव करके ऐसा कर सकती है, जिससे इन्वेस्टर्स को खासा नुकसान उठाना पड़ता है।

4. क्या है मैक्रोइकोनॉमिक्स (Macroeconomics)

मैक्रोइकोनॉमिक्स, अर्थशास्त्र यानी इकोनॉमिक्स की एक शाखा है, जिसमें व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्था के व्यवहार और प्रदर्शन की स्टडी की जाती है। इसमें बेरोजगारी, ग्रोथ रेट, ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) और महंगाई जैसे बदलावों पर फोकस किया जाता है। कुल मिलाकर मैक्रोइकोनॉमिक्स में अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सभी इंडिकेटर्स और माइक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स का विश्लेषण किया जाता है।

5.क्या है माइक्रोइकोनॉमिक्स (Microeconomics)

यह फैसले लेने में व्यक्तियों, परिवारों और कंपनियों के व्यवहार और संसाधनों के आवंटन की स्टडी है। इसका गुड्स और सर्विसेस के मार्केट और आर्थिक समस्याओं से निबटने में खासा इस्तेमाल होता है। इससे पता चलता है कि लोग क्या पसंद करते हैं, किन बातों से उनकी पसंद प्रभावित होती है और उनके फैसलों से गुड्स का मार्केट, उनकी कीमत, सप्लाई और डिमांड प्रभावित होती है।

6. गैर योजनागत व्यय (Non-plan Expenditure)

यह काफी हद तक सरकार का राजस्व व्यय होता है, जिसमें पूंजी व्यय भी शामिल होता है। इसमें ऐसे सभी व्यय शामिल होते हैं, जो योजनागत व्यय में शामिल नहीं होते हैं। ब्याज भुगतान, पेंशन, राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को किए जाने वाले सांविधिक हस्तांतरण जैसे बाध्यकारी व्यय गैर योजनागत व्यय में शामिल होते हैं।

7. गैर कर राजस्व (Non-tax Revenue)

सरकार को कर से इतर अन्य स्रोतों से होने वाली आय गैर कर राजस्व कहलाती है। इस मद में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और रेलवे को दिए गए कर्ज पर मिलने वाली ब्याज और सरकारी कंपनियों से मिलने वाले डिविडेंड और प्रॉफिट के तौर पर मिलने वाली प्राप्तियां हैं।

8.राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

सरकार को मिलने वाले कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि सरकार को कितना कर्ज लेने की जरूरत है।

9. क्या है बजट घाटा (Budgetary Deficit)

बजटीय घाटा सरकार को राजस्व और पूंजी खाता (Capital Account) दोनों में होने वाली सभी प्राप्तियों व व्यय के बीच का अंतर होता है। कुल मिलाकर बजट घाटा राजस्व खाता घाटा और पूंजी खाता घाटा का योग है।

यदि सरकार का राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्तियों से ज्यादा हो जाता है तो इसे राजस्व खाता घाटा कहते हैं। इसी प्रकार यदि सरकार का पूंजी वितरण, पूंजी प्राप्तियों से ज्यादा होता है तो इसे पूंजी खाता घाटा कहते हैं। बजट घाटे को जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर जाहिर किया जाता है।


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