बुंदेलखंड के गौरव : देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र में एक कमिश्नर की कोरोना से जंग

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नई दिल्ली, 15 मई(आईएएनएस)। बुंदेलखंड बदल रहा है। इस बदलाव के पीछे हैं एक आईएएस अफसर और चित्रकूट मंडल के कमिश्नर गौरव दयाल। बुंदेलखंड का नाम लेते ही जेहन में बदहाली से जूझते एक हिस्से की तस्वीर उभरती है। लेकिन कोरोना से संकट की इस घड़ी में बुंदेलखंड के चार जिले सफलता की कहानी रच रहे हैं। हमेशा नकारात्मक वजहों से सुर्खियों में रहा बुंदेलखंड अब कुछ अच्छी खबरों की वजह से चर्चा में आ रहा है।

जिस बुंदेलखंड की गिनती देश के सबसे बदहाल और पिछड़े क्षेत्रों में होती है, वह मनरेगा से रोजगार देने के मामले में यूपी में सबसे आगे निकल रहा है। प्रदर्शन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बुंदेलखंड का चित्रकूट जिला मनरेगा में प्रदर्शन के मोर्चे पर पूरे उत्तर प्रदेश में टॉप कर गया है। कमाल की बात है प्रदेश की टॉप 10 रैकिंग में अकेले चित्रकूट मंडल के कुल तीन जिले शामिल हैं।


उत्तर प्रदेश सरकार ने 2004 बैच के आईएएस गौरव दयाल को इस साल जनवरी में चित्रकूट धाम का कमिश्नर बनाया था। चित्रकूट धाम मंडल में बुंदेलखंड के महोबा, बांदा, हमीरपुर और चित्रकूट जिले आते हैं। पहली बार कमिश्नर का चार्ज संभाले हुए दो ही महीने हुए थे कि कोरोना का संकट शुरू हो गया। बस फिर क्या था कि कमिश्नर गौरव दयाल अपने मंडल के चारों जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा और हमीरपुर के जिलाधिकारियों के साथ कोरोना को काबू करने में जुट गए। शासन के निदेशरें को धरातल पर उतारने से लेकर चित्रकूट मंडल के हालात के हिसाब से स्थानीय स्तर पर उचित रणनीति बनाई।

घने जंगल, बीहड़..पहाड़ी एरिया और मध्य प्रदेश से लगी हुई लंबी सीमा। कुछ इस तरह की चित्रकूट मंडल की भौगोलिक स्थिति अपने आप में बड़ी चुनौती है। गरीबी, बेकारी से लेकर अशिक्षा प्रदेश के अन्य हिस्सों से कुछ ज्यादा है। इन सब चुनौतियों से जूझते हुए चित्रकूट मंडल में कोरोना के खिलाफ जंग कोई आसान काम नहीं थी। मगर कमिश्नर गौरव दयाल ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए अचूक रणनीति बनाई। चारों जिलों के अफसरों का पहले खूब मनोबल बढ़ाया और फिर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग छेड़ दी।

लॉकडाउन से चित्रकूट मंडल के गरीबों के सामने दो जून की रोटी का सवाल हो गया। कुछ कामकाज मिलना जरूरी था। केंद्र और राज्य सरकार ने मनरेगा पर जोर देने की बात कही। कमिश्नर गौरव दयाल ने चित्रकूट मंडल के चारों जिलों में युद्धस्तर पर मनरेगा कार्यों को चलाने का निर्देश दिया। ताकि गांव लौटे प्रवासियों को भी रोजगार मिल सके। गांव-गांव मजदूरों को मनरेगा से जोड़ने का अभियान चला। नतीजा निकला कि मनरेगा में रोजगार देने के मामले में चित्रकूट धाम मंडल का चित्रकूट जिला उत्तर प्रदेश में पहले नंबर पर पहुंच गया।


कमिश्नर गौरव दयाल ने आईएएनएस को बताया, “29 अप्रैल से 12 मई के बीच चारों जिलों में मनरेगा मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ी है। मंडल का चित्रकूट जिला 117.5 प्रतिशत प्रदर्शन के साथ प्रदेश में नंबर वन रहा है। वहीं प्रदेश के टॉप 10 जिलों में हमीरपुर तीसरे और महोबा 15 वें स्थान पर जगह बनाने में सफल रहा। एक ही मंडल के तीन जिले प्रदेश की टॉप 10 रैकिंग में जगह बनाए हैं। वहीं बांदा को भी प्रदेश में 15 वां स्थान हासिल हुआ है। हमीरपुर का राज्य औसत 90.90 प्रतिशत, महोबा का राज्य स्तर पर औसत 81.81 प्रतिशत और बांदा का राज्य औसत 64.89 रहा। चित्रकूट मंडल में 29 अप्रैल को पहले दिन 1286 ग्राम पंचायतों में 50,820 मजदूर लगाए गए थे। वहीं 12 मई तक मजदूरों का आंकड़ा बढ़कर 1,14,812 तक पहुंच गया।”

कमिश्नर गौरव दयाल के नेतृत्व में प्रशासन की कोशिशों का ही नतीजा रहा कि चित्रकूटधाम मंडल में बांदा छोड़कर बाकी तीन जिले अप्रैल तक कोरोना मुक्त रहे। सिर्फ बांदा जिले में ही 20 मार्च को पहला केस आया था। तब निजामुद्दीन मरकज से लौटे बांदा के युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली थी। इसके बाद कमिश्नर गौरव दयाल ने मंडल के चारों जिलों में और सख्ती की। वह खुद संदिग्धों की सूचना मिलने पर गांव-गांव अफसरों के साथ जाकर हालात का जायजा लेते रहे। नतीजा रहा कि अप्रैल तक नया केस मंडल के जिलों में नहीं आया। लेकिन धीरे-धीरे महानगरों से प्रवासियों का आना शुरू हुआ। पहले से ही संक्रमित होकर मंडल में आने वालों का इलाज कराने के सिवा प्रशासन के पास कोई विकल्प नहीं रहा। इस बीच बांदा में सात मई को कुछ मजदूरों सहित 10 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। फिलहाल मंडल के चारों जिलों में अब तक 33 मामले आए हैं। लेकिन खास बात है कि इसमें से 13 लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। अब मंडल में सिर्फ 20 संक्रमित लोग ही बचे हैं। कमिश्नर गौरव दयाल के नेतृत्व में प्रशासन मंडल को कोरोना मुक्त करने की कोशिशों में जुटा है।

मंडल के लोगों को पैसे निकालने के लिए बैंक जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। माइक्रो एटीएम व्यवस्था के जरिए घर पर ही पैसे की जमा-निकासी की सुविधा दी गई। चित्रकूट मंडल के चार जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर में कुल डेढ़ अरब से ज्यादा की धनराशि बैंक मित्रों ने घर-घर जाकर वितरित की।

कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को भुगतान कराने में कमिश्रर गौरव दयाल ने सख्ती दिखाई। उन्होंने मंडल के कुल 245 कल-कारखानों के मजदूरों के बकाए का भुगतान कराया। लोगों को बाहर निकले बगैर जरूरी सामान मिले, इसके लिए लॉकडाउन की शुरूआत से ही होम डिलीवरी की व्यवस्था बनाई गई।

सेंट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली के छात्र रह चुके गौरव दयाल 2004 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस अफसर हैं। वह एटा, जौनपुर, मुजफ्फरनगर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बरेली और आगरा जैसे जिलों में जिलाधिकारी रह चुके हैं। गौरव दयाल की गिनती लीक से हटकर चलने वाले अफसरों में होती है। 2011 में जौनपुर का डीएम रहते हुए उन्होंने फोटो आधारित ऑनलाइन अटेंडेंस का नया तरीका निकालकर लापरवाह सरकारी कर्मचारियों के पटल से गायब रहने पर रोक लगा दी थी।

बरेली में डीएम रहने के दौरान भ्रष्ट सरकारी कर्मियों के खिलाफ ‘से नो टू करप्शन’ मुहिम उनकी सुर्खियों में रही थी। इस मुहिम के तहत योजनाओं के लाभार्थियों को फोन कर डीएम ऑफिस पूछता था कि आपको संबंधित काम के बदले पैसे तो नहीं देने पड़े। अगर कोई लाभार्थी पैसे देने की बात स्वीकार करता था तो फिर संबंधित कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होती थी। यह गौरव दयाल की ओर से संचालित स्फूर्ति अभियान ही था, जिसने बरेली में ग्रामीण खिलाड़ियों की पौध तैयार करने में मदद की। यह अभियान उन खिलाड़ियों के लिए मददगार बना, जिन्हें आगे बढ़ने के लिए सिर्फ एक मौके की तलाश थी।

लखीमपुर खीरी में डीएम रहते हुए गौरव दयाल ने बेहतर कार्यालय मुहिम चलाई थी। जिसके बाद सरकारी विभागों में अपना कार्यालय साफ और स्वच्छ रखने की होड़ मच गई। क्योंकि जिले में हर विभाग के कार्यालयों की व्यवस्था पर रैकिंग जारी होती थी।

–आईएएनएस

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