कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justice Trudeau) की लिबरल पार्टी सोमवार को हुए फेडरल इलेक्शन में जीत कर फिर से सत्ता में आ गई है। कनाडा में हुए इस चुनाव में लिबरल पार्टी (Liberal Party) और कन्जर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) के बीच कड़ी टक्कर के बाद ट्रूडो सत्ता में अपनी दूसरी पारी शुरू करेंगे।
आपको बता दें कि जस्टिन ट्रूडो ने यह चुनाव जीत जरूर लिया है, लेकिन उनकी लिबरल पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। लिबरल पार्टी ने कई सीटें गंवा दी हैं लेकिन अभी भी सरकार में बने रहने के लिए उनके पास सबसे ज्यादा संख्याबल है। हालाँकि, इस बार उन्हें सपोर्ट के साथ माइनॉरिटी गवर्नमेंट (अल्पमत की सरकार) बनानी होगी। उनके साथ एक छोटी वाम विचारधारा की पार्टी सरकार में शामिल होगी कनाडाई संसद में 338 सीटें हैं, जिनमें बहुमत की सरकार बनाने के लिए 177 सीट होने जरूरी हैं। ट्रूडो की लिबरल पार्टी मंगलवार की आधी रात तक 156 सीट पर जीत हासिल कर चुकी है।
गौरतलब है कि अपने पहले कार्यकाल के चार वर्ष में जस्टिन ट्रूडो कनाडाई राजनीति में छाए रहे, लेकिन 40 दिनों तक चले लंबे चुनाव प्रचार मुहिम में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस बार के इलेक्शन कैंपेन को कनाडा के इतिहास का सबसे घटिया और निम्न स्तर का कैंपेन बताया जा रहा है।
ट्रूडो (47) ने अपने उदारवादी पिता एवं दिवंगत प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो की लोकप्रियता को आगे बढ़ाते हुए 2015 का चुनाव जीता था, लेकिन घोटाले के आरोपों और लोगों की भारी उम्मीदों ने उनकी जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया। ट्रुडो ने कनाडा में करीब 10 साल तक चले कंजर्वेटिव पार्टी के शासन के बाद 2015 में उदारवादी सरकार बनाई थी और वह दुनिया के चुनिंदा उदारवादी नेताओं में एक हैं।
घोटाले के आरोपों से जूझ रही जस्टिन ट्रुडो की सरकार
ज्ञात हो कि ट्रूडो को इस साल हुए एक घोटाले से भी जूझना पड़ रहा है, जिसमें उनकी पूर्व अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि उन्होंने क्यूबेक कंपनी के मुकदमे को रोकने के लिए उन पर दबाव डाला। इस पर सफाई देते हुए ट्रूडो ने कहा कि वह नौकरियां बचाना चाहते थे। फिर भी इस घटना से उन्हें नुकसान हुआ और एंड्रयू शीयर के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को बढ़त मिलने का अनुमान लगाया जा रहा था।