चांद पर विक्रम लैंडर को ढूंढना चुनौती थी : सुब्रमण्यन

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 न्यूयॉर्क, 3 दिसम्बर (आईएएनएस)। विक्रम लैंडर के मलबे को खोजने वाले अंतरिक्ष वैज्ञानिक शन्मुगा सुब्रमण्यन ने मंगलवार को कहा कि जब नासा यह काम नहीं कर सका तो वह इसे चुनौती के रूप में ले रहे थे।

 उन्होंने आईएएनएस को एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, “यह कुछ चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि नासा भी यह पता नहीं लगा सका था। फिर हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? और यही वह सोच है जिसने मुझे विक्रम लैंडर की खोज करने के लिए प्रेरित किया।”


सुब्रमण्यन एक सूचना प्रौद्योगिकी वास्तुकार के रूप में काम करते हैं। उन्होंने अपने खाली समय में 17 सितंबर को नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर (एलआरओ) कैमरे द्वारा ली गई तस्वीरों को देखा जिसमें उन्हें विक्रम का मलबा दिखाई दिया।

जब लैंडर से संपर्क टूटा था उस समय नासा और एलआरओ ने कहा था कि बड़ी परछाई होने के कारण और लैंडर की जगह पर उचित रोशनी नहीं होने के कारण उसे खोजना मुश्किल काम है।

एलआरओ प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक नोआ पेट्रो, जिनसे सुब्रमण्यन ने अपनी खोज का ईमेल किया, ने आईएएनएस को बताया, “इस अद्भुत व्यक्ति की कहानी वाकई शानदार है, जिसने हमें इसे खोजने में मदद की। यह वास्तव में बहुत बढ़िया है।”


चंद्रमा लैंडर विक्रम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 के माध्यम से अंतरिक्ष भेजा था।

चंद्रमा की सतह की खोज करने की उम्मीद में विक्रम को चंद्रयान से छह सितंबर को चांद की एक सुरक्षित जगह पर उतरने के लिए भेजा गया। लैंडर से हालांकि सतह पर उतरने से कुछ दूरी पहले ही संपर्क टूट गया और यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

पेट्रो ने कहा, “यह हमारे डेटा के बारे में अद्भुत बात है। हमने इसे दुनिया के लिए जारी किया और कोई भी इसका उपयोग कर सकता है और उसने इसका इस्तेमाल अपनी खोज के लिए किया।”

सुब्रमण्यन ने आईएएनएस को बताया, “मैं छात्रों और अन्य लोगों को सुझाव दूंगा कि वे नासा, इसरो और अन्य अंतरिक्ष संगठनों को एलआरओ तस्वीरों के अच्छे डेटाबेस का निर्माण करने में मदद करें।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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