सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ, जानें कब और क्यों मनाया जाता है?

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बिहार में छठ पूजा का विशेष महत्व है। कांच ही बांस के बहंगिया गाने की धुन जैसे ही कानों में गूंजती है मन आस्था से सराबोर हो जाता है। छठ पूजा का यह पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया सूर्य देव की बहन है। कहा जाता है छठ पर्व में सूर्य देव की उपासना करने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। एक साल में छठ पर्व दो बार मनाया जाता है। एक बार चैत्र में जिसे चैती छठ या डाला छठ भी कहते है और दूसरा कार्तिक माह में जिसे छठ पूजा कहा जाता है।

चैती छठ का महत्व

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हिन्दू नववर्ष के पहले महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का पर्व मनाया जाता है इसलिए इसे चैती छठ कहा जाता है। चैती छठ होली के कुछ दिनों बाद भारत के पूर्वी राज्यों में मनाई जाती है। खासतौर पर यूपी, बिहार, झारखंड और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में।


कार्तिक छठ की तरह चैती छठ भी चार दिनों तक मनाई जाती है जिसमे नहाय खाय, खरणा, संध्या घाट और भोरवा घाट शामिल है। चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को छठ पूजा, छठी माई पूजा, डाला छठ, सूर्य षष्ठी पूजा और छठ पर्व के नामों से भी जाना जाता है।

नौ अप्रैल से होगी चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत

इस बार चैती छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नौ अप्रैल से शुरू होगा। नहाय-खाए से व्रती अनुष्ठान का संकल्प लेंगे। भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ अनुष्ठान संपन्न होगा।

महापर्व के प्रमुख दिन

नहाय-खाए : नौ अप्रैल


खरना-लोहंडा : 10 अप्रैल

सायंकालीन अर्घ्य : 11 अप्रैल

प्रात:कालीन अर्घ्य : 12 अप्रैल

सूर्य उपासना और आस्था

यह सूर्य उपासना का पर्व है। भगवान भास्कर की उपासना से आरोग्यता, संतान व मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। छठ महापर्व खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यता है कि नहाय-खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है, जो श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं। नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है तो वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है।

खरना प्रसाद में ईंख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंखों की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे खत्म हो जाते हैं। छठ स्वच्छता और शुद्धता का पर्व है। अनुष्ठान का पहला दिन नहाय खाय से शुरू होता  है।

छठ पूजा हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है जिसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। ऐसे तो यह पर्व दिल्ली, मुंबई, जैसे बड़े शहरों में भी मनाया जाता है लेकिन पूर्वी भारत में इस पर्व की अलग ही छवि देखने को मिलती है।

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