Chanakya Niti: धन लाभ और सफलता पाने के लिए हर किसी को करने चाहिए ये तीन काम

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Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार सभी को बड़े ही कठिन लगते हैं, लेकिन उनके कटु वचन ही सत्य हैं और ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई बतलाती है। हम उनके विचारों पर चलना ही नहीं चाहते। भाग-दौड़ वाली जिंदगी में उनके विचारों को नजरअंदाज करते रहते हैं लेकिन उनके अनमोल वचन ही हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे।

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) के इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर हम उनके एक और विचार का आज विश्लेषण करने वाले हैं। उनका आज का ये विचार धैर्य पर आधारित है।


हर व्यक्ति आज के समय में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहता है। लेकिन कई बार उन्हें यह जानकारी नहीं होती है कि आखिर ईश्वर उनसे चाहता क्या है। अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र के महान ज्ञाता माने गए आचार्य चाणक्य जीवन के कई पहलुओं से जुड़ी समस्याओं का हल बताया है। चाणक्य एक श्लोक के जरिए बताते हैं कि आखिर मनुष्य को ईश्वर की उपासना किस तरह से करनी चाहिए।

स्वहस्तग्रथिता माला स्वहस्तघृष्टचन्दनम्।
स्वहस्तलिखितमं स्तोत्रं शक्रस्यापि श्रियं हरेत्॥

चाणक्य (Acharya Chanakya) कहते हैं कि हर किसी को अपने हाथ से गुंथी हुई माला, हाथ से घिसा चंदन और अपने हाथ से लिखी भगवान की स्तुति करनी चाहिए। ऐसा करके मनुष्य इंद्र की धन-संपत्ति को भी अपने वश में कर सकता है।


चाणक्य (Acharya Chanakya) का कहना है कि व्यक्ति को भगवान की पूजा-अर्चना या स्तुति के दौरान किए जाने वाले उपायों को स्वयं ही करना चाहिए। किसी दूसरे से करवाने का कोई लाभ नहीं मिलता है। चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि हर किसी को ईश्वर की उपासना स्वयं ही करनी चाहिए।

उदाहरण के तौर पर- जिस प्रकार भूख-प्यास तभी शांत होती है जब स्वयं भोजन खाते या पानी पाती हैं। ठीक उसी तरह से ईश्वर की उपासना का फल तभी मिलता है जब आप स्वयं उसे करते हैं। एक अन्य श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि जो व्यक्ति दूसरों के सुख से दुखी होते हैं वो जीवन भर खुशियों से वंचित रहते हैं। चाणक्य का कहना है कि हर व्यक्ति को अपने मन पर कंट्रोल रखना चाहिए।

अगर आप परिस्थिति के अनुसार रिएक्ट नहीं करते हैं तो आपके धैर्य को लोग गलत समझकर उसे कायरता का नाम देने लगते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि, ‘धैर्य की अपनी सीमाएं हैं, अगर ज्यादा हो जाए तो वो कायरता कहलाती है। ’

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