3 रुपये के कैरी बैग के बदले Bata इंडिया को भरना पड़ा 9000 रुपये का जुर्माना, जानें पूरा मामला

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3 रुपये के कैरी बैग के बदले Bata इंडिया को भरना पड़ा 9000 रुपये का जुर्माना, जानें पूरा मामला

वर्तमान समय में ग्राहकों का अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है। ऐसा देखा गया है की कंपनी ग्राहकों से गलत तरीके से पैसे बनाती हैं। ऐसे ही एक मामले में जूते-चप्पल बनाने वाली मशहूर कंपनी बाटा इंडिया लिमिटेड को एक ग्राहक से कैरी बैग के 3 रुपये वसूलना बहुत महंगा पड़ा। उपभोक्ता अदालत ने बाटा कंपनी पर 9,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा अदालत ने कंपनी को सभी ग्राहकों को कैरी बैग मुफ्त देने का आदेश दिया है।

चंडीगढ़ उपभोक्ता फोरम ने ग्राहक से पेपर बैग के लिए 3 रुपये अतिरिक्त वसूलने पर बाटा इंडिया लिमिटेड के उपर 9 हजार रुपये का जुर्माना लगया है। कंपनी द्वारा यह दलील दिया गया था कि पेपर बैग के लिए 3 रुपये का चार्ज पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया था, जिसे खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, “यदि बाटा इंडिया पर्यावरण कार्यकर्ता है तो इसे शिकायतकर्ता को बैग मुफ्त में देना चाहिए था।” साथ ही फोरम ने कंपनी से सामान खरीदने वाले सभी ग्राहकों को मुफ्त में कैरी बैग देने का निर्देश दिया है।


फोरम ने बाटा इंडिया को चंडीगढ़ निवासी दिनेश पार्षद रतूड़ी से पेपर कैरी बैग के लिए गए 3 रुपये का शुल्क चुकाने का निर्देश दिया। इसके अलावा मुआवजे के रूप में 3,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 1,000 रुपये का भुगतान करने को कहा है। फोरम ने बाटा इंडिया को यह भी निर्देश दिया कि वह ‘कंज्यूमर लीगल ऐड अकाउंट’ में सचिव, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, यूटी, चंडीगढ़ के नाम पर 5000 रुपये जमा करवाए।

बीते 8 फरवरी को फोरम में दर्ज करवाई गई शिकायत के अनुसार, रतूड़ी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 22 स्थित बाटा दुकान से 5 फरवरी को एक जोड़ी जूते खरीदे थे। जूते की कीमत 399 रुपये थी, लेकिन उन्हें 402 रुपये देने पड़े। जब उन्होंने बिल देखा तो पाया कि 3 रुपये पेपर बैग के लिए चार्ज किए गए हैं। बाटा स्टोर के कैशियर ने जूते को एक पेपर बैग में रखकर दिया, जिसके उपर BATA दुकान का विज्ञापन था। हालांकि, रतूड़ी को इस कैरी बैग को खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।

रतूड़ी ने आगे लिखा कि यह दुकान का कर्तव्य था कि वे कैरी बैग उपलब्ध करवाएं, लेकिन उन्हें इस पेपर बैग के लिए पैसे देने को मजबूर किया गया, जिसका प्रयोग बाटा द्वारा अपने विज्ञापन के लिए किया गया था। ग्राहकों से पैसे लेकर कंपनी का प्रचार किया जा रहा था। हालांकि, फोरम में अपनी सफाई में बाटा ने कहा कि उसका मकसद पर्यावरण संरक्षण है।


दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद फोरम ने कहा कि फोरम ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा दिया गया हलफनामा यह है कि “उसे कैरी बैग खरीदने का कभी इरादा नहीं था और इसे विक्रेता, बाटा द्वारा दिया किया जाना था, और यह उत्पाद की बिक्री के लिए एक आवश्यक वस्तु थी। फोरम ने कहा कि “शिकायतकर्ता को 3 रुपये का कैरी बैग खरीदने के लिए मजबूर करना, बाटा इंडिया की गलत प्रथा है। यदि बाटा इंडिया एक पर्यावरण कार्यकर्ता है, तो उसे शिकायतकर्ता को मुफ्त में कैरी बैग देना चाहिए” और “यह कंपनी के लाभ के लिए था”। 12 अप्रैल के अपने फैसले में फोरम ने कहा कि अनुचित तरीके से बाटा इंडिया ग्राहकों से काफी पैसा कमा रहा है। इसके बाद फोरम ने सभी ग्राहकों को मुफ्त में कैरी बैग उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया।


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