Chhath Puja 2020: जानें क्या है छठ पूजा का पौराणिक महत्व, ऐसे शुरू हुई ये पूजा

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Chhath Puja 2020: जानें क्या है छठ पूजा का पौराणिक महत्व, ऐसे शुरू हुई ये पूजा

कुछ ही दिनों में छठ पूजा का त्योहार शुरू होने वाला है। हर वर्ष छठ पूजा (Chhath Puja) का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। दिवाली के बाद छठ हिंदूओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।

इस बार छठ की पूजा 20 नवंबर यानी शुक्रवार को है। उत्तर भारत खासतौर से बिहार, यूपी और झारखंड में इस त्योहार का बेहद खास महत्व माना गया है। छठ पूजा के व्रत को हिन्दू धर्म में कठिन उपवासों में से एक माना गया है। इस व्रत से जुड़े नियम बेहद कठिन होते हैं।


इस पूजा के चौथे दिन सूर्योदय के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है। इस दौरान महिलाएं सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर छठ मइया की पूजा करती हैं। इस पूजा से जूड़ी अनेक पौराणिक मान्यताएं हैं। इन मान्यताओं के बारे में बेहद कम लोगों को जानकारी है। तो आइए जानते हैं छठ पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाएं।

नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस पर्व की ढेरों पौराणिक कथाएं हैं। इन कथाओं में से एक कथा कर्ण के विषय में है, ऐसा माना जाता है कि, महाभारत काल में कर्ण भगवान सूर्य के अनन्य भक्त थे। वो पानी में खड़े होकर घंटों सूर्य की उपासन किया करते थे। जिससे प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने कर्ण को महान योद्धा बनने का आशीर्वाद दिया था।

महाभारत काल की एक और कथा के अनुसार, जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने इस चार दिनों के व्रत को किया था। इस पर्व पर भगवान सूर्य की उपासना की थी और मनोकामना में अपना राजपाट वापस मांगा था।


मान्यताओं के अनुसार, ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी मां सीता ने छह दिनों तक रह कर छठ पूजा की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार 14 वर्ष वनवास के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया। इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुग्दल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया।

तब ऋषि की आज्ञा पर भगवान राम एवं सीता स्वयं यहां आए और उन्हें इसकी पूजा के बारे में बताया गया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता को गंगा छिड़क कर पवित्र किया एवं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया। यहीं रह कर माता सीता ने छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी।

छठ पर्व को लेकर एक और मान्यता है कि इसी दिन मां गायत्री का भी जन्म हुआ था। छठ पर्व की उपासना सूर्य की उपासना का त्योहार है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सूर्यदेव की पूजा करने से व्रत करने वालों को सुख, सौभाग्य और समृद्घि की प्राप्ति होती है।

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