छत्तीसगढ़ के सीताफल का स्वाद चखेंगे देश के कई हिस्सों के लोग

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रायपुर, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ के उत्पादों को देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों तक पहुंचाने के लिए चल रहे प्रयास रंग लाने लगे हैं। इन कोशिशों का ही नतीजा है कि अब यहां के सीताफल की मिठास और स्वाद देश के अन्य हिस्सों तक पहुंच रहा है। एक कंपनी ने बीते कुछ ही दिनों में पांच टन सीताफल की आपूर्ति की है।

छत्तीसगढ़ के कृषि, उद्यानिकी एवं वनोपज सहित हैंडलूम-कोसा आदि विविध उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन एवं विक्रय को बढ़ावा देने के लिए राजधानी रायपुर में 20 से 22 सितंबर तक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसका मकसद राज्य में बहुतायत में उपजने वाले विभिन्न किस्म के चावल, लघु वनोपजों और ग्रामोद्योग उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध कराना था। इसके चलते कई क्रेताओं और विक्रेताओं के बीच अनुबंध भी हुए थे।


राज्य के सीताफल की भी देश के अन्य हिस्सों से मांग आई, जिसके तहत कांकेर की महानदी किसान उत्पाद कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने पांच टन सीताफल की बिक्री की है।

कंपनी के अध्यक्ष बाबूलाल साहू के अनुसार, इस उत्पाद को यहां से देश के विभिन्न हिस्सों के लिए भेजा गया है।

मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक (मैनेजिंग डायरेक्टर) अभिनव अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि पिछले दिनों आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में देश और विदेशों के बड़ी संख्या में कारोबारी राजधानी में जुटे थे। इस दौरान बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ के उत्पादों को खरीदने के लिए अनुबंध हुए थे। इनमें उद्यानिकी से संबधित उत्पादों के अनुबंध भी शामिल थे। इसी क्रम में सीताफल भी यहां से भेजा गया है, यह सीताफल देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचेगा।


राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने भी इस सीताफल के राज्य से बाहर भेजे जाने को बड़ी उपलब्धि बताते हुए कंपनी के अध्यक्ष बाबूलाल साहू के साथ मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगीना नेताम को बधाई दी है। साथ ही उम्मीद जताई है कि राज्य के अन्य उत्पाद भी लोगों तक पहुंचेंगे और उनकी मांग बढ़ेगी।

बताया गया है कि कांकेर स्थित महानदी किसान उत्पादक कंपनी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कृषि कार्य, पशुपालन, वनोपज की खरीदी-बिक्री तथा मूल्य संवर्धन के कार्य भी किए जाते हैं।

राज्य के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के मकसद से सितंबर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में बहरीन, ओमान, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, पोलैंड, जर्मनी, बांग्लादेश, सिंगापुर सहित 16 देशों के 57 प्रतिनिधि और देश के विभिन्न राज्यों से 60 प्रतिनिधि क्रेता-विक्रेताओं ने हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने आए देशी-विदेशी क्रेता व विक्रेता के बीच 33 करार हुए हैं।

जापान की एक कंपनी ने छत्तीसगढ़ के काजू को खरीदने के लिए करार किया था। जापान में खाद्य सामग्री के कारोबारी श्याम सिंह की कंपनी ने छत्तीसगढ़ में 18 मीट्रिक टन काजू, 10 मीट्रिक टन धनिया, अलसी और 40 मीट्रिक टन मसूर दाल का अनुबंध किया है। उनकी कंपनी सरताज कोडट लिमिटेड ऑनलाइन बिजनेस भी करती है।

इसी तरह, घाना से आए सीमन बोके और कैथ कोलिंग वूड विलियम को मोरिंगा (मुनगा) की कई प्रजातियों ने प्रभावित किया था। उन्होंने मुनगा को गुणकारी बताते इसे खरीदने का विचार व्यक्त किया था, ‘मुनगा में औषधि गुण एवं आयरन की मात्रा अधिक है। इसके अलग-अलग किस्मों को अपने देश में उत्पादन कर पाउडर, बिस्किट, चॉकलेट के रूप में तथा अन्य खाद्य पदार्थो के साथ मिश्रण कर जनसामान्य को उपलब्ध कराने की दिशा में योजना बना रहे हैं। स्वदेश वापस जाकर यहां की मुनगा खरीदने की दिशा में कदम उठाएंगे।

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस बात को मानते हैं कि सरकार के प्रयासों से यहां के उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय बाजार मिलने पर जहां किसानों को फायदा होगा, वहीं उपभोक्ताओं को सही दाम पर सामग्री मिलेगी।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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