छत्तीसगढ़ में कम प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग लगेंगे

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रायपुर, 8 नवंबर (आईएएनएस)| देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ते प्रदूषण से हर कोई चिंतित है, यही कारण है कि सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर प्रदूषण कम करने के लिए जतन किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने तो कम प्रदूषण फैलाने वाले छोटे और मंझोले उद्योगों को प्राथमिकता देने का मन बना लिया है और इसके लिए उद्योग नीति में भी संशोधन किए जाने की तैयारी है।

छत्तीसगढ़ वह राज्य है, जहां लोहा, कोयला, बॉक्साइट आदि की उपलब्धता बहुत अधिक है। यही कारण है कि यहां सीमेंट, आयरन से जुड़े उद्योग बहुतायत में है। इस इलाके में जितना भी प्रदूषण है, उसकी देन यही उद्योग है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने अब उद्योग नीति में बदलाव करने की तैयारी कर ली है। साथ ही ऐसे छोटे और मंझोले उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो कम प्रदूषण फैलाते हैं।


राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ के नारे को सार्थक रूप देने के लिए प्रदेश के नए क्षेत्रों में उद्योगों को ले जाने की जरूरत है। राज्य के 10 आकांक्षी जिलों में जो देश के अतिपिछड़े 110 जिलों में शामिल हैं, इनमें विकास के लिए कृषि और उद्यानिकी तथा लघु वनोपज पर आधारित नए उद्योग लगाने के लिए पहल की जाएगी। कम प्रदूषण फैलाने वाले छोटे और मझोले उद्योग उन क्षेत्रों में लगाए जाएंगे।

उन्होंने कहा, “नई उद्योग नीति हालांकि पांच साल के लिए बनाई गई है और जरूरत पड़ने पर इसमें संशोधन किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के विकास के लिए हम समावेशी विकास पर बल दे रहे हैं। यहां रहने वाले लोगों को यह अहसास होना चाहिए कि यदि सड़क बनती है या उद्योग लगते हैं तो यह उनके लिए है।”

एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी महेंद्र कुमार प्यासी का कहना है कि उद्योग से फैलने वाले प्रदूूषण को रोकने के लिए कई तरह के उपकरण है, मगर औद्योगिक संस्थान इनका उपयोग नहीं करते, जिससे उद्योग ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। राज्य सरकार को वर्तमान में चल रहे उद्येागों का परीक्षण कराना चाहिए कि कौन-कौन से उद्योग निर्धारित नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।


वह आगे कहते हैं कि राज्य सरकार की कृषि और उद्यानिकी तथा लघु वनोपज पर आधारित नए उद्योग लगाने के लिए पहल सराहनीय है, आने वाले दिनों मे कम प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग लगे तो छत्तीसगढ़ में प्रदूषण पर लगाम लगी रहेगी।

बीते दिनों रायपुर में आयोजित नई उद्योग नीति पर परिचर्चा में मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रदेश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए हमें व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। सिंगल विंडो प्रणाली को वास्तविक रूप में लागू करना होगा। एक बार आवेदन करने के बाद सारी प्रक्रिया पूर्ण करानी होगी, तभी हम उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए आकर्षित कर पाएंगे। राज्य में इससे उद्योग के लिए नया वातावरण बनेगा और अधिक से अधिक निवेश होगा।”

दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर बघेल ने चिंता जताई और कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए मनरेगा योजना को कृषि कार्य से जोड़ना होगा, पैरा (पराली) को जलाने की जगह इससे कम्पोस्ट खाद में बदलने का काम करना चाहिए। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और जैविक खेती को भी अपना सकेंगे।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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