नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 59 याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस, SC ने ठुकराई एक्ट पर स्टे की मांग

  • Follow Newsd Hindi On  
मध्य प्रदेश के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे पर 'एक दिन में' लिया जाए फैसला: सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है। शीर्ष अदालत ने सभी मामलों को लेकर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। वहीं याचिकाकर्ताओं की नागरिकता संशोधन कानून पर स्टे लगाने की मांग को कोर्ट ने ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून की वैधता का परीक्षण करने की बात कही है। अब इस मामले में 22 जनवरी 2020 को सुनवाई होगी।

बता दें कि इस मामले में चुनौती देने वाली कुल 59 याचिकाएं हैं। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, त्रिपुरा के शाही परिवार के सदस्य प्रद्योत किशोर देब बर्मन, असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा, एम एल शर्मा, पीस पार्टी, इंडियन मुस्लिम लीग और असम में सत्तारुढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद समेत कई याचिकाकर्ता शामिल हैं। चीफ जस्टिस बोबडे के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई की। इस बेंच में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।


मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसम्बर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थियों को भारतीय नागरिक माना जाएगा। इस कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वालों का कहना है कि नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया है। उनका तर्क है कि ये कानून संविधान के आर्टिकल 14, 21, 25 का उल्लंघन करता है। इसके साथ ही भारत की मूल भावना का भी उल्लंघन करता है।

गौरतलब है कि इस नए कानून का पूरे देश में जगह-जगह पर विरोध हो रहा है। दिल्ली में जामिया के बाद मंगलवार को सीलमपुर इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुए। वहीं विपक्षी दलों ने ‘विभेदकारी’ कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से गुहार लगाई।


CAA विरोधी प्रदर्शन हिंसक होने के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में धारा 144 लागू, 6 गिरफ्तार


(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)