जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर कांग्रेस (Congress) में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। संसद में कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस कदम का विरोध किया है, लेकिन पार्टी के भीतर ही इसको लेकर एक राय नहीं है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस मामले में खुलेआम मोदी सरकार का समर्थन कर रहे हैं। मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) और जनार्दन द्विवेदी (Janardan Dwivedi) के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने भी धारा 370 (Article 370) के प्रावधानों को हटाये जाने का स्वागत किया है।
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पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने मंगलवार को एक ट्वीट में लिखा, “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भारतीय गणराज्य में पूरी तरह शामिल किये जाने के कदम का मैं समर्थन करता हूँ। अगर सांवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया होता तो और भी बेहतर होता। फिर इस पर कोई सवाल नहीं उठता। खैर, यह हमारे राष्ट्रहित में है और मैं इसका समर्थन करता हूँ।”
I support the move on #JammuAndKashmir & #Ladakh and its full integration into union of India.
Would have been better if constitutional process had been followed. No questions could have been raised then. Nevertheless, this is in our country’s interest and I support this.
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) August 6, 2019
इससे पहले आज यूपी के रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह (Congress MLA Aditi Singh) ने अनुच्छेद 370 पर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन किया था। अदिति सिंह (Aditi Singh) ने कहा, ‘राज्यसभा में पेश किए गए अनुच्छेद 370 के प्रस्ताव का मैं समर्थन करती हूं। इससे जम्मू और कश्मीर (Jammu-Kashmir) की सुरक्षा व्यवस्था में फर्क पड़ेगा। जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी राज्यों की तरह ट्रीट किए जाने से यह राज्य मुख्यधारा में आएगा। इससे ज्यादा आसानी होगी। यह बड़ा ऐतिहासिक निर्णय है।’
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बता दें, मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवरा ने भी अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का समर्थन किया था। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने भी कहा कि इतिहास की भूल को देर से ही सही मगर सुधार लिया गया है।
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, शशि थरूर और पी चिंदबरम समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भले ही अपनी पार्टी लाइन के मुताबिक केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। लेकिन कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्हें लगता है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यह फैसला देश हित में लिया है और इसका समर्थन किया जाना चाहिए।
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