कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिए देश के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी से लगे हुए हैं। कोरोना वायरस से दो-दो हाथ कर रहे इन योद्धाओं की सुरक्षा के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के दो असिस्टेंट प्रोफेसरों ने एक ख़ास ‘प्रोटेक्शन बॉक्स’ बनाया है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) और जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े दो युवा प्रोफेसरों ने COVID-19 मरीज के इंट्यूबेशन के दौरान संक्रमण से बचने के लिए एक कम लागत वाला प्रोटेक्क्शन बॉक्स विकसित किया है।
एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शहना अली और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. यासिर रफत द्वारा विकसित यह प्रोटेक्शन बॉक्स कम लागत और रख-रखाव वाला प्रभावी उपकरण है। बताया जा रहा है कि इसके प्रयोग से चिकित्सकों और नर्सों के संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
डॉ. शाहना ने कहा कि प्रोटेक्शन बॉक्स से चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा का एक अतिरिक्त दायरा मिलेगा। यह सांस की तकलीफ से जूझ रहे कोरोना वायरस के लक्षणों वाले या COVID 19 पॉजिटिव रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों-नर्सों के लिए स्वास्थ्य जोखिम को कम करेगा।
डॉ. शाहना ने कहा, “इंट्यूबेशन के दौरान चिकित्सकों को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है क्योंकि इस दौरान वायरस एयरोसोलाइज़ हो जाते हैं। सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीज को वेंटिलेटर पर रखने के लिए उसकी श्वासनली में ट्यूब डाला जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रोटेक्शन बॉक्स में काफी स्पेस है और इन्हें डिसइन्फेक्ट करने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनते हैं और संक्रमण के लिए अन्य नियमों का पालन करते हैं, लेकिन इससे वेंटिलेशन और इंट्यूबेशन के दौरान वायरस के संचरण का खतरा कम नहीं होता है।
डॉ शाहना ने कहा, “चूंकि वेंटिलेटर पर रखे जाने के दौरान अक्सर स्वास्थ्य कर्मियों का चेहरा मरीज के पास रहता है, इसलिए इन बॉक्स को सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत के साथ विकसित करने की आवश्यकता थी, ताकि डॉक्टरों और नर्सों के संक्रमित होने का खतरा और भी कम हो सके।”