Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में सचिन पायलट और उनके खेमे के कांग्रेस विधायकों की खुली बगावत के बाद अशोक गहलोत की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है और मामला कोर्ट तक पहुँच चुका है। मौजूदा सियासी संकट के चलते राजस्थान विधानसभा में बहुमत परीक्षण की नौबत आई तो एक-एक विधायक की अहमियत होगी। कांग्रेस ने बाकी विधायकों को टूटने के डर से जयपुर के एक होटल में एक साथ रखा हुआ है। वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक गिरधारी महिया अपने खेत में खटिया तान के सो रहे हैं।
200 सदस्यों वाली विधानसभा में माकपा के 2 विधायक बीकानेर के डूंगरगढ से गिरधारी महिया और भादरा से बलवान पूनियां हैं। सोमवार को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई है जिसमें माकपा विधायक गिरधारी महिया एक खाट पर निश्चिंत भाव से आराम फरमा रहे हैं। उनका कहना है कि उनको खरीदने वाली करेंसी अभी नहीं बनी। गहलोत-पायलट गुटों में से एक खेमे को सर्मथन देने के सवाल पर माकपा विधायक ने कहा कि मुझे किसी भी खेमे की परवाह नहीं है और मैं सिर्फ अपनी पार्टी का निर्देश मानूंगा।
जहां एक और राजस्थान के विधायक होटलों में बैठे हैं वही @cpimspeak के विघायक गिरधारी मईया अपने खेत में खटिया पर तान के सो रहे है उनका कहना है कि उनको खरीदने वाली करेंसी अभी नहीं बनी, मुझे नही है किसी भी खेमे की परवाह, मैं मानूंगा सिर्फ मेरी पार्टी का निर्देश – #RajasthanPolitics pic.twitter.com/W7lRTI32Wc
— Pravin Yadav (@pravinyadav) July 20, 2020
प्रलोभन देने के लिए किसी पार्टी द्वारा संपर्क किए जाने के सवाल पर विधायक महिया ने कहा कि “किसी ने कोई प्रलोभन के लिए फोन नहीं किया और न ही कोई हिम्मत कर सकता है। किसी पार्टी के किसी उम्मीदवार या नेता ने आज तक मुझ से सम्पर्क नहीं किया। जो पार्टी का निर्णय होगा, मैं उसी का पालन करूंगा।”
कर्ज लेकर लड़ा था चुनाव
बता दें कि साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में सीपीएम के टिकट से चुनाव लड़ते हुए गिरधारीलाल माहिया ने लगभग 24000 वोटों से जीत हसिल की थी। पेशे से किसान गिरधारीलाल पिछले 35 सालों से किसान नेता के तौर पर किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह कई बार खेती के लिए लोगों से कर्ज ले चुके हैं। वह बिजली, नहर, नरेगा, पानी के आंदोलन से जुड़े रहे हैं। 2001 में लगातार मूंगफली के दामों को लेकर उन्होंने आंदेलन किया था। उस समय अशोक गहलोत की सरकार को इस आंदोलन के सामने झुकना पड़ा था और राजस्थान सरकार ने मूंगफली के लिए 1340 रुपये तय किए थे।
किसी भी खेमे या पार्टी के साथ नहीं: माकपा
गौरतलब है कि राजस्थान में पनपे सियासी संकट के बीच मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को स्पष्ट किया है कि वह किसी भी खेमे या पार्टी के साथ नहीं है। जब सदन में फ्लोर टेस्ट की नौबत आएगी, उस समय पार्टी अपना फैसला करेगी। साथ ही पार्टी ने आरोप लगाया कि राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। होटल से सरकार से चल रही है और आम जनता की तकलीफों की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव अमराराम ने सोमवार को कहा कि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में राजस्थान विधानसभा में शक्ति परीक्षण की स्थिति नहीं आई है और यदि आई तो पार्टी निर्णय करेगी और उसको लागू करेगी। उन्होंने कहा, “कोई विधायक यदि हमारे निर्णय के खिलाफ जायेगा तो उस पर कार्रवाई होगी।”