आधुनिक दौर में जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं के कारण स्वास्थय को लेकर सही प्लान का होना बेहद जरुरी है, और इसके लिए सही हेल्थ इंश्योरेंस का होना भी उतना ही आवश्यक है। मगर सही हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव करना कभी भी आसान काम नहीं रहा है।
एक ओर जहां बीमा कंपनियां ढेर सारे विकल्प पेश कर रही हैं, ऐसे में यह काम और भी ज्यादा कठिन हो गया है। नियमित रिपोर्ट इसे और मुश्किल बनाती हैं, जो इस तथ्य को उजागर करती हैं कि कई सारी बीमारियां जो कि आमतौर पर 50 साल की उम्र के बाद होती थीं अब 40 साल की उम्र में ही होने लगी हैं। इसका प्रमुख कारण तनावपूर्ण और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली है।
लोकप्रिय फिटनेस टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म गोक्वी ने भी अपनी पिछली रिपोर्ट्स में कहा है कि भारत में, 30 वर्ष से अधिक आयु वाले प्रत्येक 10 में से 3 लोग जीवनशैली से जुड़ी बीमारी से परेशान हैं, जो अंतत: गंभीर बीमारी को बढ़ावा देती है। वर्ल्ड लाइफ एक्सपेक्टैंसी की रिपोर्ट बताती है कि भारत में अकेले 3 करोड़ से ज्यादा हृदय रोगी हैं, जबकि स्ट्रोक, कैंसर, फेफड़े के रोग और हृदय रोग मृत्यु के प्रमुख कारण हैं।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान को विशेष रूप से कुछ विशिष्ट गंभीर बीमारियों को कवर करने के लिए डिजाइन किया गया है जैसे कि कैंसर, स्ट्रोक, दिल का दौरा, अंग प्रत्यारोपण, गंभीर जलन और कई अन्य बीमारियां शामिल हैं।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान के तहत, बीमा कंपनियां बीमाकर्ता को ऊपर दी गई किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी का लाभ प्राप्त करने के लिए बीमा राशि के बराबर एकमुश्त राशि का भुगतान करता है। संपूर्ण एकमुश्त लाभ का उपयोग देखभाल और उपचार की लागत के भुगतान, पुनरावृत्ति खर्च और यहां तक कि किसी भी उपचार के दौरान लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए भी किया जा सकता है।
क्या कवर होता है?
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान में शामिल बीमारियों की संख्या हर कंपनी के मामले में अलग-अलग हो सकती है, हालांकि अधिकतर बीमा कंपनियां आम तौर पर 8 से 20 बड़ी बीमारियां के लिए कवरेज प्रदान करती हैं।
इसमें कैंसर, स्ट्रोक, हार्ट अटैक, अंग प्रत्यारोपण, किडनी फेलियर, आओर्टा सर्जरी, हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट, पैरालिसिस, अंग हानि या आवाज़ का चला जाना। कवरेज राशि आमतौर पर 1 लाख रुपए से अधिक की होती है।
कितना बीमा कराया जाए?
यह आम सहमति है कि गंभीर बीमारियों के इलाज की लागत आमतौर पर लाखों के पार जाती है। उद्योग के विशेषज्ञों का सुझाव है कि हमेशा परिवार के इतिहास, नौकरी के प्रकार, महंगा होता इलाज और उम्र जैसे कुछ महत्वपूर्ण कारकों के आधार पर पॉलिसी खरीदनी चाहिए। सामान्य तौर पर, इलाज की मौजूदा लागत को देखते हुए 10 लाख रुपए या उससे अधिक का कवर लेने का सुझाव दिया गया है।
क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस का प्रीमियम
यहां एक महानगर में रहने वाले धूम्रपान न करने वाले 30 वर्षीय पुरुष के लिए 10 लाख रुपए के क्रिटिकल इलनेस कवर के लिए वार्षिक प्रीमियम का एक विश्लेषण दिया गया है।
बीमा कंपनी | प्लान | प्रीमियम |
अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस | ऑप्टिमम वाइटल | 3834 |
मैक्स बूपा हैल्थ एश्योरेंस | क्रिटिकल इलनेस | 2631 |
एचडीएफसी एर्गो | क्रिटिकल इलनेस प्लान | 2949 |
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस | रिलायंस क्रिटिकल इलनेस | 3229 |
इंतजार अवधि
आमतौर पर, पॉलिसीधारक को क्लेम करने के लिए गंभीर बीमारी डायग्नोज़ होने के बाद 30 दिनों तक जीवित रहने की आवश्यकता होती है। हालाँकि, कुछ कंपनियां शून्य या 28 दिनों की जीवित अवधि के साथ पॉलिसी भी प्रदान करती हैं। वेटिंग पीरियड की बात करें तो यह पॉलिसी जारी होने के 90 दिनों के बाद होता है। 90 दिनों के भीतर किए गए क्लेम पॉलिसी के अंतर्गत नहीं आते हैं।
(स्पष्टीकरण : यह लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखी गई है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह नहीं माना जाए। कोई भी फैसला लेने से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें।)
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