Dahi Handi 2019: दही हांडी कब है? जानिये कैसे शुरू हुई इसे मनाने की परंपरा

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Dahi Handi 2019: दही हांडी कब है? जानिये कैसे शुरू हुई इसे मनाने की परंपरा

Dahi Handi 2019 : दही हांडी का त्योहार जन्माष्टमी के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी 24 अगस्त को और दही हांडी (Dahi Handi) का उत्सव 25 अगस्त को धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाएगा। भगवान विष्णु जी के अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर हर साल जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार मनाया जाता है। दही हांडी (Dahi Handi) श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को समर्पित एक उत्सव है। दही हांडी को महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे धूमधाम से मनाया जाता रहा है। वैसे, बदलते समय के साथ अब यह देश और विदेश के अन्य क्षेत्रों में भी मशहूर हो गया है। कई जगहों पर दही हांडी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है।

मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान का जन्म भाद्र मास की अष्टमी तिथि में अर्द्धरात्रि को हुआ था। इसी खुशी में जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का त्योहार मनाया जाता है। दही हांडी के मौके पर लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़कर ‘ह्यूमन पिरामिड’ जैसी श्रृंखला बनाकर ऊंचाई पर रस्सी से बंधी हांडी तक पहुंचकर उसे फोड़ते हैं। उस हांडी में मक्खन या दही रखी जाती है।


दही हांडी (Dahi Handi) का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी और वासुदेव के घर जन्म लिया था जो वर्षों तक कंस के कारागार में बंद रहे। देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान से कंस का सर्वनाश होना था। लेकिन वह देवकी के जो भी संतान होती उसे मार देता। आठवीं संतान श्रीकृष्ण को वासुदेव दैवीय शक्तियों से यशोदा और नंद के यहां वृंदावन ले गए। ब्रज में ही श्रीकृष्ण की बाल लीला की शुरुआत हुई।

बचपन में गोपाल भगवान को मक्खन और दही खाने का काफी शौक था इसलिए वे अक्सर शरारत में लोगों के घर-घर जाकर माखन चुरा लेते। शरारत से परेशान गांव के लोग माखन और दही को बचाने के लिए मटकी को काफी ऊंचाई पर टांग देते थे, लेकिन तब भी बाल श्रीकृष्ण चतुराई से दोस्तों के ऊपर चढ़कर माखन चुरा लेते थे। इसलिए उन्हें ‘माखन चोर’ भी कहते हैं। कृष्ण की इन्हीं बाल सुलभ लीलाओं को याद करते हुए दही हांडी (Dahi Handi) मनाने की परंपरा प्रारंभ हुई।


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