दलित युवक को मारकर इंस्पेक्टर ने पिता से कहा- किसी मुस्लिम का नाम ले लो, 10 लाख मिलेगा

  • Follow Newsd Hindi On  
दलित युवक को मारकर इंस्पेक्टर ने पिता से कहा- किसी मुस्लिम का नाम ले लो, 10 लाख मिलेगा Dalit father offered 10 lakhs for naming muslims in son's murder bharat bandh | Newsd - Hindi News

नई दिल्ली। रविवार 13 जनवरी को रामलीला मैदान में आयोजित बहुजन सम्मान महासभा में इकट्ठा हुए कई दलितों ने अन्याय और कठिनाईयों के कई दास्तान सुनाई। दरअसल, पिछले साल 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान विरोध प्रदर्शन में 13 लोगों की जान चली गई थी और दो हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए। प्रशासन की क्रूरता का शिकार हुए इन लोगों के परिजनों को सम्मानित करने के लिए कल एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका आयोजन गाजियाबाद के सत्यशोधक संघ, भीम आर्मी के एक गुट द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम में पहुंचे सुरेश कुमार ने कहा कि उनके बेटे को एक पुलिस अधिकारी ने गोली मार दी और बदले में उनसे कहा गया कि वह दलित युवक के हत्यारे के रूप में किसी भी मुसलमान का नाम ले लें। इसके बदले में उन्हें दस लाख रुपए की पेशकश तक गई। ऐसे ही एक और पुलिस की गोली का शिकार हुए दिहाड़ी मजदूर कहते हैं कि उन्हें भाजपा सरकार से किसी मुआवजे की उम्मीद नहीं है। कुमार कहते हैं कि पुलिस की गोली लगने की वजह से वह अब मजदूरी करने में भी सक्षम नहीं हैं।


पुलिस गोलीबारी में मारे गए थे 10 लोग

अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ में छपी एक खबर के मुताबिक उस दिन हड़ताल के दौरान पुलिस गोलीबारी में दस लोगों की मौत हो गई। ये लोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में सुप्रीम कोर्ट के बदलाव के खिलाफ विरोध कर रहे थे। विरोध के दौरान एक बच्ची की मौत जलती बाइक में गिरने की वजह से हो गई। इसके अलावा दो लोगों की मौत कथित तौर पर ऊँची जाति द्वारा दो दिन बाद हिंसा में हो गई थी। इसीलिए रामलीला मैदान के आयोजन में 13 ‘शहीद भीम सैनिकों’ की मूर्तियां लगाई गईं। इन मूर्तियों को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, बुद्ध और सम्राट अशोक की बड़ी मूर्तियों के सामने रखा गया जिन्हें बाद में पीड़ितों के मूल स्थानों पर ले जाया जाएगा।

‘पुलिस अधिकारी ने सीने पर मारी गोली’

अपने बेटे को खो चुके यूपी के मुजफ्फरनगर स्थित गोडला गांव में रहने वाले सुरेश कुमार (60) ने बताया कि कैसे उस दिन हड़ताल के दौरान उनके 22 वर्षीय बेटे अमरेश की मौत हो गई। पेशे से मजदूर सुरेश कहते हैं, ‘वो भी मेरी तरह दिहाड़ी मजदूर था और शहर में काम की तलाश में गया था। काम नहीं लगा तो मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन पर आ गया, जहां हमारे (जाटव) कुछ लड़के प्रदर्शन कर रहे थे।’ सुरेश कहते हैं, ‘हमारे लड़कों ने बताया कि उसे एक पुलिस अधिकारी ने सीने पर गोली मारी थी। प्रदर्शनकारी इसे हाथ से चलने वाले ठेले पर सरकारी हॉस्पिटल में लेकर गए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।’

सुरेश की एक बेटी और दो बेटे और हैं, जो दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। उन्हें सरकार ने किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया। सुरेश ने दावा किया बेटे की मौत का आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर उन्हें न्यू मंडी पुलिस स्टेशन उठाकर ले आया। सुरेश कहते हैं, ‘उन्होंने मुझसे बेटे के हत्यारे के संदिग्ध के रूप में किसी भी मुस्लिम शख्स का नाम लेने को कहा। कहा गया कि अगर मैं ऐसा करता हूं तो इसके बदले में मुझे दस लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। मैंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं शांति चाहता हूं तो किसी का तो नाम लेना ही पड़ेगा। इसपर मैंने उस पुलिसवाले कहा कि मैं जानता हूं कि तुमने ही मेरे बेटे को मारा है।’


पीड़ित के पिता को थाने बुलाकर धमकाया

टेलीग्राफ के अनुसार सुरेश आगे कहते हैं, ‘मेरे इनकार के बाद मेरे साथ बदसलूकी की गई, मुझे जातिगत गालियां दी गई। मुझे पीटने की धमकी दी गई। हालांकि मैंने उसे चेतावनी दी कि उसकी शिकायत करुंगा। इसके बाद पुलिस ने एक दलित युवक राम शरण को उस हिंसा के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जिसमें अमरेश की मौत हुई।’ सुरेश आगे कहते हैं, ‘मैं अपने बेटे के लिए इंसाफ की लड़ाई नहीं लड़ सकता। हमारे किसी पड़ोसियों ने भी हमारी मदद नहीं की।’

ऐसे ही अनूप कुमार (22) और अशोक कुमार (27) हैं, जो हरियाणा में दिहाड़ी मजदूर हैं। 2 अप्रैल को ये भी घायल हुए थे। ओपन स्कूल से बीए कर रहे अनूप ने बताया कि उन्हें स्कूल में जातिगत दुर्भावना और भेदभाव का सामना करना पड़ा। अशोक कहते हैं कि उन्हें अपने ही गांव में चाय की दुकान में चाय पीने के लिए खुद के घर से कप लाने को मजबूर होना पड़ा है। इस मामले में दलित अत्याचार अधिनियम के तहत केस ही दर्ज नहीं हुआ। अशोक कहते हैं, ‘मैं प्रदर्शन में गया ताकि मेरे बच्चों को इस अधिनियम का अधिकार हो। यह एक बड़ा प्रदर्शन था और पुलिस ने गोलियां चलाईं। मुझे भी गोली लगी।’

वहीं अनूप कहते हैं कि उन्हें एक गुंडे ने गोली मारी। गोली अनूप की जांघ पर लगी जबकि अशोक के शरीर के पिछले हिस्से में लगी। उन्हें अभी तक इसका मुआवजा नहीं मिला। यहां किसी भी राजनीतिक पार्टी ने उनसे संपर्क नहीं किया। इसमें उनकी बीएसपी भी शामिल है।


दलितों के हाथ में हो हनुमान मंदिरों की कमान : चंद्रशेखर रावण

(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)