भारत में नस्लभेद का शिकार हुए थे डेरेन सैमी, बोले- IPL में मुझे और थिसारा को ‘कालू’ कहा गया

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Darren Sammy faced racism while playing in IPL

वेस्टइंडीज टीम के पूर्व कप्तान डेरेन सैमी (Darren Sammy) भी नस्लभेद का शिकार हुए हैं। सैमी को इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान लोगों के बुरे बर्ताव झेलना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया है कि सनराइजर्स हैदराबाद के उनके साथी थिसारा फरेरा के साथ उन्होंने भी इंडियन प्रीमियर लीग के दौरा नस्लभेदी टिप्णियां झेली हैं।

वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान डेरेन सैमी उस वक्त भड़क गए, जब उन्हें ‘कालू’ (Kalu) शब्द का मतलब समझ आया। उन्होंने खुलासा किया कि जब वह सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) के लिए खेल रहे थे, तो उन्हें ‘कालू’ कहा गया था। सैमी ने 2013-14 के सीजन सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेले हैं।


हिन्दी में कालू शब्द गहरे रंग वाले व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। इस पर डेरेन सैमी ने आईसीसी (ICC) से यह अनुरोध किया था कि क्रिकेट जगत के लोग नस्लवाद के खिलाफ सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईपीएल में फैन्स अक्सर अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हैं। स्टेडियम में कुछ लोग तो गालियां भी देते हैं।

हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके खिलाफ कब और किसने यह टिप्पणी की थी। वेस्टइंडीज के ऑल राउंडर ने कहा कि वह इस शब्द के सही अर्थ नहीं जानते थे, लेकिन जब उन्हें इसका मतलब पता चला तो वह बुरी तरह डर गए। सैमी ने क्रिकेट की इस डार्क साइड का खुलासा किया।

सैमी ने अपनी इंस्टा स्टोरी (Insta Story) में एक पोस्ट शेयर किया और उसमें लिखा- मैंने अभी जाना कि कालू का क्या मतलब होता है। जब मैं आईपीएल (IPL) में सनराइजर्स हैदराबाद का हिस्सा था तो मुझे और परेरा (Perera) को कालू (Kalu) नाम से बुलाते थे। इसे जानकर मैं बहुत गुस्से में हूं।


पिछले दिनों ही अमेरिका (America) में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की हत्या कर दी गई। 46 वर्षीय फ्लॉयड की एक पुलिसकर्मी ने घुटने से उसकी गर्दन दबाई, जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। उनकी हत्या के विरोध में पूरी दुनिया में विरोध दर्ज किया गया।

सैमी पहले ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी थे, जिन्होंने फ्लॉयड के पक्ष में नस्लवाद के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखा था। वह पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने लिखा था- ब्लैक लाइव्स मैटर। डेरेन सैमी के बाद में क्रिस गेल, आंद्रे रसेल और केएल राहुल ने भी नस्लवाद पर लिखा।

भारतीय क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर ने भी नस्लवाद के खिलाफ इस अभियान का समर्थन किया। उन्होंने नेल्सन मंडेला का उल्लेख करते हुए लिखा- मंडेला ने कहा था कि खेलों में दुनिया को बदलने की क्षमता है। इसमें दुनिया को एकजुट करने की जितनी ताकत है, उतनी किसी में नहीं है।

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