पुण्यतिथि विशेष: जगजीत सिंह अरोड़ा ने 93,000 पाकिस्‍तानी सैनिकों को घुटनों पर बैठने के लिए किया था मजबूर

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पुण्यतिथि विशेष: जगजीत सिंह अरोड़ा ने 93,000 पाकिस्‍तानी सैनिकों को घुटनों पर बैठने के लिए किया था मजबूर

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय इतिहास के एक बड़े नाम हैं। 1971 में पाकिस्तान के  93,000 सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले जगजीत सिंह की आज पुण्यतिथि है।

16 दिसंबर 1971, की तारीख भारतीय सैन्य इतिहास की सबसे मुख्य तारीखों में से एक है। इसी दिन भारत के वीर पुत्र लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने देश भर को गर्व महसूस करवाया था। पाकिस्तान के साथ भारत के तीसरे युद्ध में जगजीत सिंह ने भारत को एक ऐसा मौका दिया, जिसे कभी नहीं भूला जा सकता। जगजीत सिंह ने ही भारत को हर वर्ष ‘विजय दिवस’ मानाने की वजह दी।


लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय इतिहास का एक बड़ा नाम इसलिए हैं, क्योंकि उन्होंने 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए भारत द्वारा किये गए संघर्ष का नेतृत्व किया। जगजीत सिंह ने 93,000 पाकिस्‍तानी सैनिकों को घुटनों पर बैठने को मजबूर कर दिया था।

13 फरवरी 1916 को झेलम की काला गुजरान जिले में उनका जन्म हुआ। पंलेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा सन 1939 में इंडियन मिलिट्री अकेडमी से ग्रेजुएट हुए। इसके बाद वह दूसरी पंजाब रेजीमेंट की पहली बटालियन में कमीशंड ऑफिसर बने। लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा बर्मा गए जहां पर वह दूसरे विश्‍व युद्ध का भी हिस्‍सा बने। वर्ष 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो उस समय लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा ऑफिसर बन चुके थे और इस दौरान उन्‍होंने भारत और पाकिस्‍तान के बीच पहले युद्ध को करीब से देखा। वह 1962 और 1965 की लड़ाई का हिस्‍सा रहे।

16 दिसंबर 1971 को इंडियन आर्मी और बांग्‍लादेश की मुक्ति बाहिनी को लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ही लीड कर रहे थे। यह वह दिन था जब पाकिस्‍तान की सेना के आफिसर जनरल अमीर अब्‍दुल्‍ला खान नियाजी को अपने 93,000 सैनिकों के साथ भारत से मिली हार के बाद आखिर में सरेंडर करना पड़ा था।


1969 में लेफ्टिनेंट जनरल रहे जेएफआर जैकब ने अपनी किताब ‘एन ओडिसी इन वॉर एंड पीस,’ में लिखा था कि फील्‍ड मार्शल सैम मॉनेकशॉ जो उस समय जनरल थे, उनको लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा पर जरा भी भरोसा नहीं था। उन्‍होंने मॉनेकशॉ के सामने अपना विरोध भी दर्ज कराया था। लेकिन जगजीत सिंह ने सबको गलत साबित कर दिया। हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ इतनी बड़ी जीत के बाद भी उन्हें पहले ‘ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार’ के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल इंदिरा गांधी सरकार के रवैये से खफा थे। इसके बाद फिर नवंबर 84 में जब दंगे भड़के तो सरकार के साथ उनकी कड़वाहट और बढ़ गई थी।

लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा वर्ष 1973 में सेना से रिटायर हो गए। उन्‍हें पहले परम विशिष्‍ट सेवा मेडल से सम्‍मानित किया गया। इसके बाद युद्ध में उनकी भूमिका की वजह से उन्‍हें पद्मभूषण भी दिया गया। कई लोगों को उम्‍मीद थी कि उन्‍हें सेना प्रमुख भी बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका था।

बता दें कि, फिल्म ‘बॉर्डर’ में सनी देओल द्वारा निभाया गया किरदार कुलदीप सिंह लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा से ही प्रेरित था। इनके बारे में एक किस्सा बहुत मशहूर है। दरअसल एक बार उनकी कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्‍कर मार दी थी। इसके बाद वह कार से उतरें और उन्‍होंने कहा, ‘मैं जगजीत सिंह अरोड़ा हूं। आप मेरे घर आकर रिपेयर चार्ज कलेक्‍ट कर सकते हैं।’ इस पर भीड़ से आवाज आई, ‘वहीं बांग्‍लादेश वाले।’ इसके बाद उन्‍होंने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि सरकारें हमें भूल जाती हैं लेकिन लोग हमें आज भी याद रखते हैं।

भारत के इस महान सैनिक ने 3 मई 2005 को दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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