न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी के हेड अर्णब गोस्वामी और उनके चैनल के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट धर्मेंद्र सिंह ने इस मामले को 4 अप्रैल की सुनवाई के लिए लिस्ट किया है। बता दें कि कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर ने गोस्वामी के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। गोस्वामी पर थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के केस में गोपनीय दस्तावेजों को गैर-कानूनी रूप से हासिल करने और थरूर का ई-मेल अकाउंट हैक करने के आरोप हैं।
मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में संबंधित एसएचओ को प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच करने के निर्देश दिये हैं। आदेश में कहा गया है कि मामले की जांच की आवश्यकता है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि आरोपी व्यक्तियों के पास यह सामग्री कैसे आई। अदालत ने कहा, ‘यह अदालत देखेगी कि इस मामले में कितने लोगों की जांच की जानी है। इन परिस्थितियों में संबंधित एसएचओ को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और कानून के अनुसार जांच करने का निर्देश देती है।’
कोर्ट ने इस मामले पर कहा कि ‘शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों और कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक ये कॉग्निजेबल ऑफेंस (जिसमें पुलिस आरोपी को बिना किसी वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती है) का मामला है। कोर्ट को लगता है कि इस मामले की पुलिस जांच होनी चाहिए क्योंकि ये स्पष्ट नहीं है कि आरोपी चैनल के पास आखिर ये गोपनीय दस्तावेज कैसे आए।’
बता दें कि शशि थरूर का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट विकास पहवा और एडवोकेट गौरव गुप्ता ने कोर्ट में रिपब्लिक टीवी के को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर अर्णब गोस्वामी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सुनंदा पुष्कर की मौत के केस के ऐसे कुछ गोपनीय दस्तावेज अवैध रूप से हासिल किए थे, जो पुलिस जांच का हिस्सा हैं। साथ ही उन्होंने शशि थरूर का ई-मेल अकाउंट भी हैक करके कुछ निजी ई-मेल निकाले थे, जो बाद में चैनल की व्यूअरशिप बढ़ाने के उद्देश्य से चैनल पर प्रसारित किए गए थे।
थरूर के वकील ने बताया कि ‘ये दस्तावेज दिल्ली पुलिस के इंटरनल फाइल की नोटिंग्स के कॉपी, शिकायतकर्ता की ओर से दिल्ली पुलिस को दी गई बयान की कॉपी, शिकायतकर्ता के सहयोगी नारायण सिंह के बयान की कॉपी और ऑटोप्सी के दौरान ली गईं मृतका की तस्वीरें हैं।’उनका कहना है कि आरटीआई सवालों पर दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया दिखाती है कि ये दस्तावेज अवैध रूप से हासिल किए गए थे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि किसी भी पेंडिंग पड़े केस से जुड़ी कोई भी जानकारी और सूचना सार्वजनिक तौर पर या मीडिया से साझा नहीं की जा सकती।