देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले में भारत में कोरोना की मृत्यु दर कम है। साथ ही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कराए गए सीरो सर्वे (Sero survey) का रिजल्ट भी जारी किया गया। इस सर्वेक्षण से मिले नतीजों से पता चला है कि दिल्ली में पिछले 6 महीनों के दौरान दिल्ली की 23 फीसदी आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है। राजधानी के शाहदरा इलाके में संक्रमण सबसे ज्यादा पाया गया।
हालांकि दिल्ली के ज्यादातर लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण नहीं दिखे। 27 जून से 10 जुलाई तक चले सीरो सर्वे में 21,387 सैम्पल लिए गए थे, जिनके अध्ययन से पता चला कि ज्यादातर लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं थे। विशेषज्ञों के मुताबिक सीरो सर्वे सुझा रहा है कि अगर दिल्ली की आबादी 2 करोड़ है, तो यहां करीब 47 लाख लोग कोरोना वायरस के संपर्क में आने की संभावना है। दिल्ली के 11 जिलो में से 8 जिलों में 20 फीसदी से ज्यादा लोग संक्रमित हुए। लेकिन इनमें से ज्यादातर लोगों में इसके संक्रमण के लक्षण नहीं दिखे।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए सीरो-सर्वे कराया था। दिल्ली के सभी 11 जिलों में यह सर्वे कराया गया है। 27 जून से 10 जुलाई के बीच हुए सर्वे के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने लोगों के घर-घर जाकर ब्लड सैंपल कलेक्ट किया। इन सभी सैंपल्स को लैब में टेस्ट किया गया। इसके बाद दिल्ली के 23.48 फीसदी लोगों में कोरोना एंटीबॉडी पाए जाने के नतीजे सामने आए। सर्वे से प्राप्त नतीजों के अध्ययन से यह भी बात सामने आई कि दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसे लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हुए जो एसिम्पटमैटिक थे यानी इनमें बीमारी के लक्षण कम थे।
दिल्ली के 23 प्रतिशत लोगों के इस महामारी से प्रभावित होने के पीछे राजधानी की घनी आबादी को कारण बताया जा रहा है। साथ ही अध्ययन में यह भी बताया गया है कि सरकार के सार्थक प्रयासों के कारण संक्रमण की रोकथाम में मदद मिली। लॉकडाउन या अन्य प्रयासों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों को बीमारी की जद में आने से बचाया जा सका। हालांकि अध्ययन में यह भी कहा गया है कि फेस-शील्ड, मास्क और रोकथाम के अन्य उपायों को अब भी जारी रखने की जरूरत है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।