चमकी बुखार: बिहार की मदद के लिए केजरीवाल सरकार ने बढ़ाया हाथ, आयुष्मान भारत पर उठाये सवाल

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चमकी बुखार: बिहार की मदद के लिए केजरीवाल सरकार ने बढ़ाया हाथ, आयुष्मान भारत को बताया 'सफेद हाथी'

बिहार में चमकी बुखार (Encephalitis) ने कहर बरपाया हुआ है। ताजा जानकारी के मुताबिक, राज्य में चमकी बुखार से अब तक 113 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बीच दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने बिहार सरकार को मदद की पेशकश की है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बिहार की सरकार को दिल्ली सरकार हर संभव मदद करने को तैयार है। सिसोदिया ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि बिहार सरकार को डॉक्टर, दवाइयां, एंबुलेंस या जिस तरह की भी मदद की जरूरत होगी, हम देने को तैयार हैं।

सिसोदिया ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना का जिक्र करते हुए कहा, आयुष्मान भारत देश में सफेद हाथी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा, ”आयुष्मान भारत जैसी योजना लाकर बीमा कंपनियों को पैसा देना समाधान नहीं है, हॉस्पिटल बनवाना, मोहल्ला क्लीनिक बनवाना, पॉलीक्लीनिक बनाना ही समाधान है। आयुष्मान से सिर्फ बीमा कंपनियों को फायदा मिल रहा है। इसे लागू करने से पहले बुनियादी ढांचा मजबूत करने की जरूरत है।”



वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि बिहार में जो घटनाएं हो रही हैं, वो आयुष्मान भारत में कवर हो सकती हैं। लेकिन उनको इलाज क्यों नहीं मिल रहा है। बता दें कि आयुष्मान योजना 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी योजना बताई जाती है।

चमकी बुखार से मौतों का सिलसिला जारी

बता दें क‍ि बिहार में एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) की वजह से मंगलवार को 8 और बच्चों की मौत हो गई और इसके साथ ही इस बीमारी से जान गंवाने वाले बच्चों की संख्या 113 हो गई है। इस बुखार का कहर मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में जारी है। चमकी बुखार के कारण बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इस जानलेवा बुखार की वजह से लोग अपने घर को छोड़़ने को मजबूर हो रहे हैं। मां-बाप के मन में खौफ है कि कहीं उनके बच्चे भी इसी बीमारी का शिकार ना हो जाएं। मुजफ्फरपुर के अलावा वैशाली के कई गांवों से भी लोग पलायन कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि वैशाली जिले में 17 बच्चों की मौत हुई है लेकिन इनमें से कई बच्चों को एईएस से मरने वाले बच्चों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। गांव के लोगों ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में बताया कि इन्हें इस बीमारी की पहले कोई जानकारी नहीं दी गई थी। लेकिन जब ये घटनाएं बढ़ने लगीं तब आंगनबाड़ी की सेविकाएं उन्हें इस बीमारी के बचाव के बारे में बताने आई थीं।


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