दिल्ली: बदलेंगे सत्ता के प्रतीक, संसद, राजपथ और सचिवालय का नया प्लान

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दिल्ली: बदलेंगे सत्ता के प्रतीक, संसद, राजपथ और सचिवालय का नया प्लान

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सत्ता के प्रतीक का चेहरा बदलने के लिए बड़े पैमाने पर ढांचागत बदलाव किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार साल 2022 तक नई संसद बना सकती है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय की ओर से फेसलिफ्ट प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा। इसके तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक साढ़े तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित सेंट्रल विस्टा का नक्शा बदल जाएगा। इसका निर्माण 1930 के दशक में हुआ था।

योजना के तहत संसद की नई इमारत के साथ ही एक और इमारत बनाई जाएगी जहां नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के दफ्तरों को समायोजित किया जा सके। एक कॉमन केंद्रीय सचिवालय भी बनाने का प्रस्ताव है जहां कई मंत्रालय के दफ्तर लाए जा सकेंगे।


नया कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट

मोदी सरकार की मंशा है एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाने की है। जिससे सभी मंत्रालयों, विभागों और दफ्तरों में कोआर्डिनेशन ठीक से हो सके। यह सभी लगभग एक सी इमारत में हों। अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग करीब 47 मंत्रालयों विभागों और दफ्तरों में 70000 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के दोनो तरफ नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के अलावा शास्त्री भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन आदि जैसी कई इमारत हैं जिनमें अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर हैं।

योजना के तहत संसद की नई इमारत के साथ ही एक और इमारत बनाई जाएगी जहां नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के दफ्तरों को समायोजित किया जा सके। ये भी खुलासा किया गया कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के दफ्तर अब ढांचागत मजबूत नहीं रहे, साथ ही वो भूकंपरोधी भी नहीं हैं। यही नहीं केंद्र सरकार ने निजी इमारतों में भी अपने अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर बना रखे हैं जिनका सालाना किराया करीब 1000 करोड़ रुपये है।

विश्व स्तरीय सेंट्रल विस्टा

राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का तीन किलोमीटर का इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है। सेंट्रल विस्टा पूरे देश का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट है जिसको देखने लोग देश-विदेश से आते हैं। सेंट्रल विस्टा को ठीक उसी तर्ज पर बनाया जाएगा जैसे कि वाशिंगटन डीसी जैसी विश्व की अन्य बड़ी राजधानियों में बनाया गया है। इसमें वेंडर की समस्या, पार्किंग की समस्या, लोगों के बैठने की समस्या के लिए बाकायदा प्लानिंग करके काम किया जाएगा। मंत्रालय की योजना 2024 तक निर्माण कार्य पूरा करने की है।


सूत्रों के मुताबिक निविदाएं जल्दी खोली जाएंगी। प्रोजेक्ट की रूपरेखा और उस पर अमल के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जाएगी। प्लान को पूरा करने के लिए फर्म का चयन 15 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा।

पूरे प्रोजेक्ट पर कितना खर्च आएगा, इसका खुलासा नहीं किया गया है। फिलहाल, बड़े पैमाने पर बदलाव के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए भारतीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों तरह की कंपनियों का साथ लेने के लिए सरकार के पास विकल्प खुला है।


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