दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) की दर्दनाक तस्वीरों के बीच चंद कहानियां ऐसी भी हैं जो इंसानियत और आपसी भाईचारे के रिश्ते को बुलंद करती करती हैं। राजधानी में हुए खौफनाक दंगों के बीच ऐसे लोग भी हीरो बनकर उभरे जिन्होंने हिंदू या मुसलमान न बनकर, सिर्फ इंसान बने रहे और अपनी जान पर खेलकर लोगों को बचाया। ऐसी ही एक घटना उत्तर-पूर्वी दिल्ली के शिव विहार की है। यहाँ दंगाइयों से अपने मुस्लिम पड़ोसियों को बचाने के लिये प्रेमकांत बघेल ने अपनी जान दांव पर लगा दी।
शिव विहार में हिंसा वाले दिन जब प्रेमकांत बघेल ने अपने मुस्लिम पड़ोसी का घर जलता हुआ देखा तो पड़ोसियों को बचाने भागते हुए चले आए। उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना आग की लपटों में घिरे मुस्लिम पड़ोसियों को जान बचाई। प्रेमकांत ने बताया कि शिव विहार में हिंदू-मुस्लिम आपसी सौहार्द के साथ रहते हैं। लेकिन दंगे के बाद हालात काफी खराब हो गया है।
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उन्होंने कहा कि हिंसा वाले दिन पेट्रोल बम से लोगों के घर जलाए जा रहे थे। इसी बीच उनके एक मुस्लिम पड़ोसी के घर में दंगाइयों ने आग लगा दी। सूचना मिलते ही वह फ़ौरन घर में फंसे हुए लोगों को निकालने पहुंच गए। वह परिवार के छह लोगों को निकाल चुके थे लेकिन आग बढ़ती जा रही थी। उनके दोस्त की बुजुर्ग मां अभी भी घर में फंसी थीं। उन्हें बचाने के दौरान वह खुद आग में झुलस गए।
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रिपोर्ट के अनुसार, बघेल ने खुद कई लोगों की जान बचाई, लेकिन जब वो झुलस गए तो किसी ने उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए किसी ने अपनी गाड़ी नहीं दी। क्योंकि शिव विहार, मुस्तफाबाद और खुरेजी में चारों ओर दंगा फैला हुआ था। पड़ोसियों ने एम्बुलेंस को फोन किया, लेकिन वह कभी उनके पास नहीं पहुंचा। 70 फीसदी जले होने के बावजूद बघेल ने पूरी रात अपने घर पर बिताई। उनके दोस्तों और परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी। सुबह उन्हें जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहां तत्काल उनका इलाज शुरू किया गया। यहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
प्रेमकांत बघेल का कहना है कि भले वह खुद जल गए और अपने जीवन के लिए लड़ रहे हैं लेकिन उन्हें अपने दोस्त और उसके परिवार की जान बचाने की खुशी है।