देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी के प्रभावी इकोसिस्टम की जरूरत : मोदी

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कोलकाता, 5 नवंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कान्फ्रें सिंग के जरिए कहा कि “देश में साइंस और टेक्नोलॉजी का इकोसिस्टम बहुत मजबूत होना चाहिए। एक ऐसा इकोसिस्टम जो प्रभावी भी हो और पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेरक भी हो। हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।” यहां आयोजित 5वें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ-2019) को नई दिल्ली से संबोधित करते हुए उन्होंने देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक मजबूत व प्रभावी इकोसिस्टम बनाने पर बल दिया जो पीढ़ी दर पीढ़ी चल सके।

मोदी ने कहा कि इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का पांचवां संस्करण ऐसे स्थान पर हो रहा है, जिसने ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में मानवता की सेवा करने वाली महान विभूतियों को पैदा किया है। उन्होंने विज्ञान महोत्सव के आयोजन के संयोग का जिक्र करते हुए कहा कि इसका आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब 7 नवंबर को सी.वी. रमण की और 30 नवंबर को जगदीश चंद्र बोस की जयंती मनाई जाएगी।


प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान के इन महान विभूतियों की विरासत का उत्सव मनाने और 21वीं सदी में उनसे प्रेरणा लेने के लिए इससे बेहतर संयोग नहीं हो सकता।

मोदी ने कहा, “इसलिए इस फेस्टिवल की थीम राइजन-रिसर्च, इनोवेशन एंड साइंस एंपावरिंग नेशन तय करने के लिए आयोजकों को मेरी तरफ से शुभकामनाएं। ये थीम 21वीं सदी के भारत के मुताबिक है और इसी में हमारे भविष्य का सार है।”

इससे पहले बंग्ला भाषा में उन्होंने प्रौद्योगिकी के माध्यम से महोत्सव में मौजूद प्रतिभागियों से संवाद करने और उनके उत्साह व उमंग को महसूस करने की बात कही।


उन्होंने कहा, “दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है, जिसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बगैर प्रगति की हो और भारत का भी इसमें बहुत समृद्ध अतीत रहा है, हमने दुनिया को बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक दिए हैं।”

मोदी ने कहा, “हमारा अतीत गौरवशाली है। हमारा वर्तमान साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रभाव से भरा हुआ है। इन सबके बीच भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारियां अनेक गुना बढ़ जाती हैं। ये जिम्मेदारियां मानवीय भी हैं और इनमें साइंस और टेक्नोलॉजी को साथ लेकर चलने की अपेक्षा भी है। इस जिम्मेदारी को समझते हुए सरकार आविष्कार और नवाचार, दोनों के लिए संस्थागत सहायता दे रही हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा प्रयास है कि छठी क्लास से ही विद्यार्थी अटल टिंकरिंग लैब में जाएं और फिर कॉलेज से निकलते ही उसको इन्क्यूबेशन का, स्टार्टअप का एक इकोसिस्टम तैयार मिले। इसी सोच के साथ बहुत ही कम समय में देश में 5 हजार से अधिक अटल टिंकरिंग लैब बनाए गए हैं। इनके अलावा 200 से अधिक अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स भी तैयार किए गए हैं।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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