Devutthan Ekadashi 2019: चार माह से योगनिद्रा में गए भगवान श्रीहरि आज शुक्रवार 8 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन जाग उठेंगे। इसे देवोत्थान एकादशी और देव उठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। देव प्रबोधिनी एकादशी वर्ष के स्वंयसिद्ध मुहूर्तों में से एक मानी जाती है। इसी के साथ मांगलिक कार्य शुरू होंगे और शहनाई गूंज उठेंगी। आठ नवंबर को शुरू हो रहे सहालग 12 दिसम्बर तक चलेंगे। इसके बाद खरमास की शुरुआत होने के कारण 15 जनवरी से फिर से शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा।
भगवान विष्णु के जागने पर शुरू होंगे मांगलिक कार्य
कार्तिक मास में आने वाले शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान (Devutthan ), देवउठान एकादशी (Devutthan Ekadashi) कहा जाता है। आषाठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन कहते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठान एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु के शयनकाल के चार महीनों में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इसलिए देवउठान एकादशी पर हरि क जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है।
दोवोत्थान एकादशी पर शादी करना शुभ
बिल्वेश्वरनाथ बालाजी के पंडित चेतनस्वामी ने बताया कि देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह मंगलमय होता है। इस बार देवोत्थान का शुभ संयोग बन रहा है। दोवोत्थान एकादशी पर शादी करना बहुत शुभ होता है। इस दिन अन्य मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। साथ ही तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस दौरान हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। क्षीर सागर में चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी को उठते हैं। इस बार देवोत्थान एकादशी आठ नवंबर को पड़ रही है। इसी के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। तुलसी विवाह के साथ ही श्रीहरि का पूजन विशेष हितकारी है।
Tulsi Vivah 2019: 8 नवंबर को है तुलसी विवाह? जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त