डिजिटल मीडिया में फेक न्यूज पर सभी चिंतित

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 भोपाल, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| डिजिटल मीडिया को सूचना तंत्र का एक बड़ा हथियार मानने के साथ इस पर वायरल होने वाली फेक न्यूज से राजनेता ही नहीं मीडिया जगत से जुड़े लोग भी चिंतित हैं।

 यहां मंगलवार को डिजिटल प्रेस क्लब एवं पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के संयुक्त बैनर तले आयोजित कार्यशाला ‘डिजिटल मीडिया और बदलता मध्य प्रदेश’ में वरिष्ठ पत्रकारों और राजनेताओं ने खुलकर अपनी राय जाहिर की।


वरिष्ठ पत्रकार पंकज पचौरी ने फेक न्यूज पर कहा, “फेक न्यूज डिजिटल के दौर का अंधकार है। देश में 110 करोड़ फोन हैं, जिनमें 60 करोड़ स्मार्टफोन हैं। इनमें से 25 करोड़ 60 लाख लोग मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं। पेटीएम और वाट्सएप अपने 35 करोड़ मोबाइल यूजर होने का दावा करते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। यहां 12 हजार 500 करोड़ का सालाना एड कलेक्शन है।”

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट राजनीति का सबसे बड़ा दुश्मन बनने जा रहा है। भारत सरकार के कई एप अमेरिकन कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर हैं, क्योंकि हमारे पास सर्वर नहीं हैं। इसलिए इसे रेगुलेट करना मुश्किल है। डेटा के बाजार में भारत सरकार कंपनियों को आमंत्रित कर रही हैं। उन्हें रेगुलाइजेशन से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि प्रोपेगंडा के लिए उनके अपने हित हैं। फिनलैंड दुनिया का इकलौता देश है, जिसने इंटरनेट को मौलिक अधिकारों में शामिल किया है। उनका देश फेक न्यूज से मुक्त हो चुका है। इसलिए भारत सरकार भी इंटरनेट को मौलिक अधिकार बनाए। स्कूलों में इंटरनेट और फेक न्यूज के प्रति बच्चों को शिक्षित किया जाए।”

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया में फेक न्यूज पर चिंता जताई। उन्होंने इस आयोजन में भाजपा नेताओं के न आने पर कहा कि यहां भाजपा के नेताओं को मौजूद होना चाहिए था।


मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के आयुक्त पी. नरहरि ने कहा, “देश में तकनीक के विकास के साथ डिजिटल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है। आज 10 फीसदी लोग सोशल मीडिया और डिजिटल पर निर्भर हैं।”

जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि प्रेस क्लब इस परिचर्चा का निचोड़ सरकार को दे, ताकि इस पर काम किया जा सके।

व्रिष्ठ पत्रकार पाणिनि आनंद ने कहा, “देश के मीडिया में जो सवरेत्तम है, वह जीवित रहेगा। डिजिटल ने पत्रकारिता के पांडित्य से लोगों को बाहर निकाला है। डिजिटल ने ज्यादा आलोचनात्मक रूप से विषयों को उठाया है। स्वतंत्र मीडिया साइट्स पर ज्यादा गंभीर कंटेंट आपको मिलेगा। सोशल मीडिया का कंट्रोल सत्ता के पास नहीं जाना चाहिए। इसका नियंत्रण कुछ विषय विशेषज्ञों को दिया जाए।”

वरिष्ठ पत्रकार अमृता राय ने सोशल मीडिया और डिजिटल साक्षरता विषय पर कहा, “सूचना की सत्यता परखने के लिए हमें कई अखबार पढ़ने की जरूरत है। अखबार सूचनाओं का गेटवे बन गया था। लेकिन सोशल मीडिया ने आकर गेटवे तोड़ दिया। यहां कोई भी सूचनाएं शेयर कर सकता है। एप के जरिए हम एक डेटा पॉइंट में तब्दील हो रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए सूचनाओं के कंट्रोल को तोड़ा गया था, लेकिन आज यह खुद अपने डेटा की सुरक्षा के लिए लड़ रहा है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता डिजिटल प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश भाटिया और आभार सचिव विनय द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में पी एच डी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इन्डस्ट्री के प्रवीण आचार्य और सीनियर रेसिडेंट ऑफिसर अनिरुद्घ दुबे ने आगे और भी डिजिटल साक्षरता पर केंद्रित कार्यशाला करने का भरोसा दिया।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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