दिल्ली: बागवानी, बसों, ट्रेनों की धुलाई में भी शोधित पानी का उपयोग

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नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में तेजी से बढ़ती आबादी के कारण आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होगी। इसलिए दिल्ली जल बोर्ड पानी के उपलब्ध संसाधनों पर बोझ कम करके नए विकल्प स्थापित कर रहा है। सरकार, यमुना को स्वच्छ बनाने और दिल्ली में कम होते भूजल स्तर को भी बढ़ाने का प्रयास कर रही है।

इसी उद्देश्य से दिल्ली जल बोर्ड ने शोधित पानी का उपयोग पीने के अलावा अन्य गतिविधियों, जैसे – बागवानी कार्यों और विभिन्न एजेंसियों, संगठनों को देने या बसों और ट्रेनों को धोने के लिए प्रयोग करना शुरू किया है।


दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष एवं जल मंत्री सतेंद्र जैन ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रोहिणी (15 एमजीडी), रिठाला (60 एमजीडी), कोरोनेशन पिलर (30 एमजीडी) में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स (अपशिष्ट उपचार संयंत्रों) का दौरा किया। साथ ही उन्होंने तिमारपुर स्थित ऑक्सीडेशन तालाब और भलस्वा झील साइट का भी स्थलीय निरीक्षण किया।

सतेंद्र जैन ने कहा, हाल के दिनों में इस शोधित पानी का उपयोग अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं किया जा रहा है। अभी हमारे पास 20 दूषित जल शोधित संयंत्र (वेस्ट वॉटर ट्रीमटमेंट प्लांट) हैं, जिसमें 500 एमजीडी दूषित जल को साफ किया जाता है। उसमें से 90-95 एमजीडी जल का उपयोग किया जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड का उद्देश्य है कि वो शोधित जल को पीने के पानी के अलावा दूसरे कामों में ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाए।

मंत्री सतेंद्र जैन ने अधिकारियों को अब सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले 100 एमजीडी शोधित पानी का उपयोग करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा,उक्त एसटीपी में और उसके आसपास उपलब्ध लगभग 500 एकड़ के ग्रीन बेल्ट और वन क्षेत्रों में रिठाला, रोहिणी और कोरोनेशन पिलर के शोधित जल प्रवाह का उपयोग चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।


उन्होंने निरीक्षण के दौरान कहा कि संबंधित एसटीपी से वनों और हरित क्षेत्रों में शोधित जल का उपयोग होना चाहिए। मौजूदा एसटीपी के 100 प्रतिशत क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए अधिक से अधिक ध्यान दिया जाए। सभी रक्षात्मक उपकरणों और बायोगैस संयंत्रों को तत्काल आधार पर ठीक किए जाने की आवश्यकता है।

दिल्ली सरकार का मानना है कि रोहिणी एसटीपी में 80 एकड़ खाली भूमि, रिठाला एसटीपी में 60 एकड़ वन, कोरोनेशन पिलर एसटीपी के पास 250 एकड़ वन का उपयोग शोधित अपशिष्ट के आवेदन के माध्यम से भूजल स्तर में सुधार के लिए किया जाना चाहिए।

एसटीपी के पास बिना शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग किया जाना चाहिए और एसटीपी में शोधित जल उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि उपलब्ध बुनियादी ढांचे का शत-प्रतिशत उपयोग किया जा सके। निगम का दूषित पानी किसी भी हाल में बारिश में एकत्रित हुए पानी से न मिले।

— आईएएनएस

जीसीबी-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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