नई दिल्ली, 9 मई(आईएएनएस)। दिल्ली के करोलबाग में अपने बड़े मकान में अकेले रहने वाले एक संपन्न परिवार के बुजुर्ग दंपती को लॉकडाउन ने बड़ी टेंशन दे दी थी। वजह कि उनके बेटे और बहू सभी विदेश रहते हैं। घर में कोई मदद करने वाला नहीं था। उन्हें राशन या भोजन की कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन डॉक्टरों से चेकअप और मेडिकल स्टोर से दवाओं की चिंता उन्हें थी। ऐसे में संघ के स्वयंसेवक आगे आए और बुजुर्ग दंपती की लगातार देखभाल करने के साथ डॉक्टरों से उनकी जांच और दवाओं आदि की जिम्मेदारी देख रहे हैं।
कुछ इसी तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के कार्यकर्ता दिल्ली में उन सैंकड़ों बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है, जो बड़े-बड़े घरों में अकेले रहने को मजबूर हैं। जरूरत पड़ने पर एक फोन कॉल पर संघ के स्वयंसेवक हाजिर हो जाते हैं। सिर्फ करोलबाग में ही अकेले रहने वाले 24 बुजुर्ग दंपतियों की देखभाल संघ के कार्यकर्ता कर रहे हैं।
दिल्ली के करोलबाग में संघ के जिला सेवा प्रमुख रोहताश धालीवाल नेआईएएनएस कहा, “लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोगों का ध्यान राशन, भोजन पर रहा, लेकिन हमने देखा कि कई ऐसे संपन्न घरों में लोग रहते हैं जिन्हें राशन, भोजन नहीं चाहिए लेकिन उन्हें लॉकडाउन में सहारे की जरूरत है। ऐसे परिवारों कि लिए हमने प्रौढ़ सेवा कार्य शुरू किया।”
जिला सेवा प्रमुख रोहताश धालीवाल ने आईएएनएस को बताया कि उनके कार्यक्षेत्र में कुल 85 बस्तियां हैं। हर बस्ती में में सेवा कार्य प्रमुख होता है। सेवा कार्य प्रमुख को अपनी बस्ती से कम से कम पांच-पांच ऐसे असहाय बुजुर्गों की पहचान करने की जिम्मेदारी है। सिर्फ करोलबाग में ही 24 बुजुर्ग की जिम्मेदारी संघ के स्वयंसेवकों ने ले रखी है।
सरस्वती शिशु मंदिर पहाड़गंज को जिला सेवा केंद्र बनाकर संघ के स्वयंसेवक क्षेत्र की सभी बस्तियों में अन्य तरह के सेवा कार्य भी कर रहे हैं। आरएमएल हास्पिटल कर्मचारी बस्ती से लेकर सदर बाजा, देवनगर, गोविंदनगर आदि बस्तियों में संघ के कार्यकर्ता जाकर सर्वे करते हैं। परिवारों से मिलकर उनकी आवश्यकताओं का पता लगाते हैं। करोलबाग में संघ के स्वयंसेवक कुल छह सामुदायिक रसोइयों का भी संचालन कर रहे हैं। जिनके जरिए प्रति दिन सुबह और शाम 12 से 15 हजार परिवारों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस कार्य में करीब ढाई सौ स्वयंसेवक लगे हैं।
–आईएएनएस