डीयू के शिक्षक ने 59 साल की उम्र में हासिल की पीएचडी की डिग्री

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नई दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती और यह शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के 97वें दीक्षांत समारोह के दौरान साबित हुआ हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय के 97वें दीक्षांत समारोह में एक छात्र ऐसा भी रहा जिसने 59 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हंसराज सुमन को 59 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री की मिली है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी न्यू मीडिया हिंदी पत्रकारिता पर प्रौद्योगिकीय परिवर्तन का प्रभाव विषय पर शोध कार्य किया है।


दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी व विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य हंसराज सुमन को शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के 97वें दीक्षांत समारोह में हिंदी पत्रकारिता पर प्रौद्योगिकीय परिवर्तन का प्रभाव विषय पर पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से डॉ. हंसराज सुमन ने न्यू मीडिया से संबंधित विषय पर शोध कार्य किया है।

पीएचडी की डिग्री मिलने के बाद उन्होंने बताया है कि, जनसंचार की दुनिया में बड़े-बड़े परिवर्तन हो रहे हैं, नई तकनीकी आने लगी है, आज मीडिया का स्वरूप बदल चुका है। आधुनिक मीडिया दूर-दराज के क्षेत्रों में भी अपनी पहुंच बनाने लगा है। पहले पिछड़े क्षेत्र मीडिया से पूर्णत उपेक्षित थे। संसाधनों के अभाव में मीडिया कर्मी उन क्षेत्रों तक पहुंच नहीं पाते थे। आज समाज, राजनीति और प्रशासन के हरेक क्षेत्र में मीडिया की पहुंच बन चुकी है। इसका मुख्य कारण नव सूचना संचार प्रौद्योगिकी का विकास और विस्तार है।


वहीं इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अन्य कार्यों एवं कोरोना संकट काल के दौरान की गई पहलों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुझे यह देख कर बहुत खुशी हुई कि विद्या विस्तार योजना के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित संस्थानों को सहयोग प्रदान कर रहा है।

इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने कोरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सबसे बड़े रिफार्म, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए कहा कि यह किसी सरकार या किसी व्यक्ति विशेष की नीति नहीं है बल्कि हमारी नीति है। हम सब मिलकर इस नीति को लेकर आए हैं। अब इस नीति का क्रियान्वयन भी हम सबका कर्तव्य है। यह मात्र एक नीति नहीं बल्कि भारत के स्वर्णिम भविष्य का विजन डॉक्यूमेंट है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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