दमोह के दंगल में जीत किसी के लिए आसान नहीं

  • Follow Newsd Hindi On  

भोपाल, 28 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के दमोह विधानसभा सीट पर जल्दी ही उपचुनाव होने वाला है। उपचुनाव सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि यहां से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जीता था और उसने दलबदल किया जिसके चलते उपचुनाव होना है।

दमोह विधानसभा उपचुनाव के लिए अभी तारीख का ऐलान तो नहीं हुआ है, मगर चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। यहां उपचुनाव सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल करने वाले राहुल लोधी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। लोधी इस समय वेयर हाउसिंग कापोर्रेशन के अध्यक्ष है। उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है।


दमोह के उप-चुनाव को लेकर दोनों दल काफी गंभीर हैं। यही कारण है कि बीते रोज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का दमोह का संयुक्त दौरा हुआ। मुख्यमंत्री चौहान ने लगभग पांच सौ करोड़ की सौगात दी है। इतना ही नहीं दमोह में मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने को भी सरकार पहले ही मंजूरी दे चुकी है।

भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहां पूर्व मंत्री जयंत मलैया बन सकते हैं क्योंकि राहुल लोधी ने मलैया को चुनाव में हराया था। मलैया ने लगातार छह बार दमोह विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया है और उपचुनाव में भी दावेदार थे। मुख्यमंत्री चौहान ने राहुल लोधी को भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने का ऐलान भी कर दिया है।

एक तरफ जहां भाजपा उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर चुकी है वहीं कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर मंथन का दौर जारी है। कांग्रेस बेहतर उम्मीदवार की तलाश कर रही है, वहीं भाजपा के एक नेता भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आकर उप चुनाव लड़ना चाह रहे हैं और उन्हें कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का समर्थन भी है। वहीं दूसरी ओर एक पिछड़े वर्ग के नेता भी जोर आजमाइश में लगे हैं।


विधानसभा सीट के इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि अब तक हुए 15 चुनाव में छह बार भाजपा के जयंत मलैया जीते हैं तो वहीं दूसरी ओर सात बार कांग्रेस का उम्मीदवार और दो बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। राहुल लोधी ही एक मात्र ऐसे उम्मीदवार रहे हैं जो पिछड़े वर्ग से होते हुए यहां जीत पाए हैं। इससे पहले कांग्रेस की ओर से बहुसंख्यक ब्राह्मण नेताओं ने जीत दर्ज की। इनमें प्रभुनारायण टंडन, चंद्र नारायण टंडन और मुकेश नायक के नाम प्रमुख हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार दमोह का चुनाव रोचक होने वाला है, ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल लोधी के दलबदल करने से एक वर्ग में नाराजगी है। इतना ही नहीं जयंत मलैया का टिकट कटने से जैन वर्ग में भी असंतोष है। इन स्थितियों में अगर ब्राह्मण, जैन और अल्पसंख्यक एक हो जाते हैं तो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है। वहीं दूसरी ओर भाजपा को पिछड़ा वर्ग और अपने पुराने वोटबैंक का साथ मिलता है तो उसके लिए जीत आसान हो जाएगी। कांग्रेस मुकाबला तभी कर सकती है जब वह ऐसे उम्मीदवार को लाए जो साफ-सुथरी छवि का हो और उसे जनता का समर्थन हासिल हो।

यह उप-चुनाव राज्य में दोनों सियासी दलों के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि इस उप-चुनाव के आसपास ही नगरीय निकाय के चुनाव प्रस्तावित हैं। यही कारण है कि दोनों दल दमोह में सारा जोर लगाने से हिचकेंगे नहीं।

–आईएएनएस

एसएनपी-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)