साल 2013 की बात है। लोकसभा में चल रहे बहस के दौरान एक शेर पढ़ा जाता है
“हमें उनसे है वफ़ा की उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है”
इस शेर को पढ़ा था तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) ने। ज्यादातर शांत रहने वाले मनमोहन सिंह का ये अंदाज बेहद चौकाने वाला था। ये शेर उन्होंने भरतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए पढ़ा था। इसके जवाब में सुषमा स्वराज ने भी शेर पढ़ा था। इन दोनों घटनाओं के बाद संसद ठहाकों से गूंज उठा था।
“कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं ही कोई बेवफा नहीं होता”
वर्ल्ड बैंक में काम करने वाले, आरबीआई के पूर्व गवर्नर, अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर, देश में उदारीकरण की शुरूआत करने वाला शख्स, देश के पूर्व प्रधानमंत्री। मनमोहन सिंह को किस नाम से पुकारा जाए। मनमोहन सिंह को अब तक का सबसे सफल अर्थशास्त्री माना जाता है। सिंह लगातार 2 बार देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे।
मनमोहन सिंह के प्रेस सलाहकार रह चुके संजय बारू कहते हैं कि “मनमोहन सिंह काफी शान्त रहने वालों में से थे। उन्हें हिंदी पढ़ना भी ठीक से नहीं आता था। इसका कारण यह था कि उनकी शुरूआती शिक्षा उर्दू और गुरुमुखी में हुई थी। वो भाषण देने से पहले कई बार उसका प्रयास किया करते थे।”
एक बार बीबीसी के पत्रकार मार्क टली को दिए इंटरव्यू में अपने शर्मिले अंदाज के बारे में सिंह ने बात करते हुए कहा था कि “कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान मैं ठंड में भी ठंडे पानी से नहाया करता था। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्म पानी के पास भीड़ रहती थी और मैं किसी को अपने लंबे बाल नहीं दिखाना चाहता था”
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह गांव में (अब पाकिस्तान में है) एक सिख परिवार में हुआ था। डॉक्टर सिंह देश के वित्तमंत्री, आरबीआई के गवर्नर और देश के प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं। वो पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। एक बार जब उनसे उनकी सफलता का राज पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “मैं जो कुछ भी हूँ, अपनी पढ़ाई-लिखाई की वजह से हूं।”
मनमोहन सिंह के 5 बड़े काम
- 1991 का इकॉनोमिक रिफॉर्म्स
- 2005 का आरटीआई एक्ट
- मनरेगा 2006
- 2008 का सिविल न्यूक्लिअर डील
- 2013 का फ़ूड सिक्यूरिटी बिल