दिल्ली विश्वविद्यालय(DU) में हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद को एक समुदाय पर टिप्पणी करने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनके खिलाफ दर्ज हुई FIR पर आगे किसी भी कार्रवाई पर रोक लग गई है। साथ ही हरियाणा सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए गए हैं।
प्रो. अपूर्वानंद की ओर से सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट में बहस के दौरान तर्क दिया कि यमुनानगर निवासी एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर बिना तथ्यों को समझे अपूर्वानंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। शिकायतकर्ता स्वयं एक हिंदू है और उसने आरोप लगाया था कि एक बड़े समाचार पत्र में प्रोफेसर ने जो कॉलम लिखा था, उस कॉलम में एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी।
अग्रिम जमानत देते हुए जज ने कहा था कि पूरे लेख को यदि संयुक्त पढ़ा जाए तो ऐसा नहीं लगता कि इसमें कोई ऐसी बात किसी उद्देश्य से लिखी गई है या यह लेख अव्यवस्था पैदा करने व लोगों को हिंसा के लिए उकसाने वाला हो। बल्कि यह गुजरात में राजनीतिक पार्टी की कार्यप्रणाली से जुड़ा है।
अपूर्वानंद के वकीन अनुपम गुप्ता ने कहा कि प्रोफेसर अपूर्वानंद हमेशा से धर्म निरपेक्षता के समर्थक रहे हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों व सांप्रदायिक सद्भाव के लेख लिखते रहते हैं। इस प्रकार की शिकायतों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाई जा रही है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद हरियाणा सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही FIR के आधार पर कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।