Durga Puja 2019: कब है दुर्गा पूजा? जानें क्यों कहा जाता है इसे ‘शक्ति का पर्व’

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दुर्गा पूजा (Durga Puja) हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को ‘दुर्गोत्सव’ भी कहा जाता है। सातवें दिन से दुर्गा माता की पूजा की जाती है और आखिरी के तीन दिन इस पूजा को और भी धूम धाम से मनाया जाता है। इस बार 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक यह पर्व मनाया जाएगा।

बुराई पर अच्छाई की जीत वाले इस त्योहार को हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है, लेकिन बगलियों के लिए यह सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक है, जिसकी तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है। दुर्गा पूजा के हर दिन का अपने आप में एक अलग महत्व होता है, लेकिन आठवें दिन यानी ‘महा अष्टमी’ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।


कब है दुर्गा पूजा?

यह त्यौहार नवरात्रि के साथ मनाया जाता है, जो 10 दिन तक चलता है इस वर्ष यह त्यौहार 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक मनाया जाएगा, जिसके बाद मूर्ति का भव्य विसर्जन होगा।

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नवरात्रि के छठे दिन से नौवें दिन तक, विशाल पंडाल भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। मान्यता के अनुसार, सर्वोच्च शक्ति की देवी ‘दुर्गा’ छठे दिन से ही पृथ्वी पर अपनी यात्रा शुरू करती हैं। इसी दिन दुर्गा की भव्य मूर्तियों का अनावरण किया जाता है और अगले दिन माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की पूजा की जाती है।


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आंठवे दिन को महा अष्टमी कहा जाता है इस दिन माता दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों के साथ नौ बर्तनों की पूजा की जाती है। इसी दौरान कन्या पूजा की जाती है, जिसमें नौ अविवाहित लड़कियों की पूजा की जाती है।

दुर्गा पूजा का महत्व

दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाई जाती है। देवी दुर्गा को शक्ति का अवतार माना जाता है । इस पूजा से लोगों में साहस का संचार होता है और वे आपसी मनमुटाव भुलाकर एक-दूसरे की मंगल कामना करते हैं ।

पुराणों में दुर्गा पूजा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि माता दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर नामक असुर का संहार किया था, जो भगवान का वरदान पाकर काफी शक्तिशाली हो गया था और आतंक मचा रहा था। दुर्गा ने 10 दिनों और रातों के युद्ध के बाद उस असुर का वध किया था। देवी दुर्गा उस असुर से लड़ने के लिए हर दिन एक नया रूप लेती थीं। इसके अलावा कहा जाता है कि रावण का वध भी इसी दिन किया गया था इसलिए ही दशहरा मनाया जाता है।

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इन मान्यताओं के कारण इस पर्व को ‘शक्ति का पर्व’ भी कहा जाता है। दशमी के दिन दुर्गा मूर्ति का विसर्जन कर उनको विदाई दी जाती है।


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