दुर्गम क्षेत्रों में सीएपीएफ तक संचार सुविधा पहुंचाने के लिए होगा स्थायी समाधान

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नई दिल्ली, 12 फरवरी (आईएएनएस)। देश के दुर्गम एवं दूर-दराज इलाकों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों के लिए अपने परिवार के सदस्यों के साथ संचार स्थापित करना अब दुर्लभ घटना नहीं होगी। केंद्र सरकार ने भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) को समस्या का स्थायी समाधान खोजने का निर्देश दिया है।

इस दिशा में काम पहले से ही चल रहा है और बीबीएनएल को डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल (डीएसपीटी) की रिप्रोविजनिंग (पुनसर्ंरचना) की गई है। दूरसंचार सलाहकार इंडिया लिमिटेड (टीसीआईएल) द्वारा डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन के अनुमोदन के अनुसार परियोजना को कार्यान्वित किया जा रहा है। वहीं दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने हाल ही में गृह मंत्रालय (एमएचए) के साथ सूचना साझा की है।


डीओटी के तहत यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) नियमित आधार पर डीएसपीटी की पुनसर्ंरचना की निगरानी कर रहा है।

आईएएनएस द्वारा एक्सेस किए गए दस्तावेज से पता चलता है कि कार्यान्वयन एजेंसी सामग्री के परिवहन और स्थापना (इंस्टालेशन) टीम के मूवमेंट में कोविड-19 स्थिति के कारण बहुत कठिनाइयों का सामना कर रही है, लेकिन पिछले महीनों की तुलना में स्थिति बेहतर होने के साथ अब काम बेहतर हो गया है।

एमएचए और एमओडी एजेंसियों के साथ निकट समन्वय में बीबीएनएल और टीसीआईएल हालांकि सभी डीएसपीटी साइटों के संचालन के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।


एमएचए द्वारा डीएसपीटी को सीएपीएफ को देश के दूर-दराज या दुर्गम क्षेत्रों से अपने परिवार के सदस्यों के साथ संवाद करने में सक्षम बनाने का काम सौंपा गया है। इन डीएसपीटी साइटों को यूएसओएफ से सब्सिडी प्रदान की जाती है।

13 मई, 2019 से सैटेलाइट बंद के कारण डीएसपीटी सेवाओं के पूरी तरह से काम करना बंद कर देने के बाद, दूर-दराज के क्षेत्रों में बेहतर संचार प्रणाली के लिए सरकार का यह कदम काफी महत्वपूर्ण और प्रभावी साबित होगा।

जवानों और उनके परिजनों के बीच संचार की समस्या को समाप्त करने के लिए स्थायी समाधान खोजने पर जोर दिया गया है और इसके लिए 21 जनवरी, 2020 को डीओटी में एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें एमएचए, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), रक्षा मंत्रालय, सेना मुख्यालय, समन्वय पुलिस वायरलेस निदेशालय (डीसीपीडब्ल्यू) और बीबीएनएल के अधिकारियों ने भाग लिया था।

इस बैठक में तीन सूत्री फैसले लिए गए और सीएपीएफ के लिए संचार की स्थायी सुविधा प्राप्त करने को लेकर मंथन हुआ।

10 लाख से अधिक जवानों वाले सीएपीएफ में सात सुरक्षा बल आते हैं, जिसमें असम राइफल्स (एआर), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीपीपी), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) शामिल हैं।

ये बल चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के साथ लगती सीमाओं पर आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं पर सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए एमएचए के तहत कार्य करते हैं।

कई सीएपीएफ कर्मियों को दुर्गम स्थानों, दूर-दराज के पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में तैनात किया जाता है, जहां से वे तीन महीनों से भी अधिक समय तक अपने घर पर नहीं जा पाते हैं।

उचित मोबाइल कनेक्टिविटी की कमी के कारण, वे कई-कई दिनों तक अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क तक नहीं कर पाते हैं।

सरकार के कदम का उद्देश्य सीएपीएफ कर्मियों की मदद के लिए संचार मुद्दों को स्थायी रूप से सुधारना है।

–आईएएनएस

एकेके/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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