दुर्लभ बीमारी से पीड़ित तीन महीने की फातिमा की सफल कार्डियक सर्जरी

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नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)|तीन महीने की बच्ची जुबिया फातिमा में दिल की दुर्लभ जन्मजात बीमारी का निदान किया गया, वह टीएपीवीसी के एक मिश्रित प्रकार से पीड़ित थी।

  फेफड़ों पर ज्यादा प्रेशर के कारण उसे पल्मोनरी आर्टिरियल हाइपरटेंशन भी था। उत्तरप्रदेश के लखनऊ की निवासी जुबिया का जन्म सीजेरियन सर्जरी द्वारा समय से पहले हुआ था, हालांकि उसके माता-पिता के बीच खून का रिश्ता नहीं है।


 

जन्म के एक सप्ताह के बाद ही बच्ची का शरीर नीला पड़ने लगा, एक महीने की उम्र में उसकी सांसे तेज चलती थीं।

अपोलो अस्पताल के पीडिएट्रिक कार्डियो थोरेसिक सर्जन डॉ मुथु जोथी ने कहा, “बच्ची में एक प्रकार की जन्मजात दिल की बीमारी सुप्राकार्डियक टीएपीवीडी पाई गई, जिसमें फेफड़ों (पल्मोनरी वेन) से आने वाला खून दिल के पीछे एक कॉमन चैम्बर में आता है। इस वजह से फेफड़ों से आने वाले खून दिल तक नहीं पहुंच पाता।”


कॉमन चैम्बर से निकलने वाली वेन्स दिल के दाएं हिस्से से जुड़ी होती हैं, जिसकी वजह से जो खून दिल के बाएं हिस्से में जाना चाहिए, वह दाएं हिस्से में पहुंचता है। इसके कारण ऑक्सीजन से युक्त और ऑक्सीजन से रहित खून आपस में मिल जाता है। ऐसे में बच्चे के जीवित रहने का एक ही तरीका है कि उसके दिल के दोनों ऊपरी चैम्बर्स (दाएं और बाएं एट्रियम) के बीच छोटा छेद हो। लेकिन इससे दिल के बाएं हिस्से में मिश्रित खून जाएगा और यही खून पूरे शरीर में पहुंचेगा। ऐसे में बच्चे का शरीर नीला पड़ने लगता है और फेफड़ों पर प्रेशर बढ़ जाता है।

डॉ जोथी ने बच्ची का ईको (ईकोकार्डियोग्राम) करने पर पाया कि पल्मोनरी वेन्स वास्तव में अलग-अलग जगह पर खुल रहीं थीं। स्थिति बेहद गंभीर थी, जिसे टीएपीवीडी का मिश्रित प्रकार कहा जाता है।

डॉ मुथु जोथी और उनकी टीम ने परिवार की सहमति से बहुत जोखिम से भरी यह सर्जरी की।

डॉ जोथी ने सर्जरी के बारे में बताते हुए कहा, “दाईं उपरी एवं नीचली पल्मोनरी वेन्स को सर्जरी के द्वारा दिल के बाएं हिस्से से जोड़ा गया। बाईं ऊपरी वेन को वर्टिकल वेन से अलग किया गया जो दिल के दाएं हिस्से से जुड़ी थी, इसे भी बाएं हिस्से से जोड़ा गया। सर्जरी बहुत मुश्किल थी, इसमें 6.5 से 7 घंटे लगे। यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये पल्मोनरी वेन्स बेहद छोटी होती हैं और अगर इन्हें ठीक से न जोड़ा जाए तो खून दिल में सही जगह पर नहीं पहुंचेगा और फेफड़ों का प्रेशर कम नहीं होगा। यह दुर्लभ एवं मिश्रित प्रकार का टीएपीवीडी है, जिसमें सर्जरी करना बहुत ही मुश्किल होता है।”

उन्होंने कहा, “बच्ची को तीन-चार दिनों तक वेंटीलेटर पर रखा गया और सर्जरी के एक सप्ताह बाद छुट्टी दे दी गई। हाल ही में उसकी जांच की गई। बच्ची अब ठीक है। हमने माता-पिता को दवाएं जारी रखने की सलाह दी है।”

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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