दूसरों की नकल छोड़, अपनी संस्कृति अपनाएं भारतीय : सत्यार्थी

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नागपुर, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)| नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने गुरुवार को भारतीय युवाओं को राष्ट्रीय संस्कृति को अपनाने और दूसरे की नकल नहीं करने का आग्रह किया। आरएसएस के स्थापना दिवस पर संगठन के वार्षिक विजयादशमी समारोह के अवसर पर सत्यार्थी ने कहा, “सैकड़ों वर्षो तक उपनिवेशवाद भारत की आत्मा को नहीं मार सका, लेकिन इसने निश्चय ही हमारे दिमाग में हीनभावना के निशान और मानसिक गुलामी के भाव छोड़े हैं, जिससे हम अभी तक उबर नहीं पाए हैं।”

यहां समारोह के मुख्य अतिथि सत्यार्थी ने कहा, “ये हीनभावना हमारे भाषा, परंपरा, संस्कृति, पहनावे, खान-पान और शिक्षा के क्षेत्र में अवमानना की बढ़ती भावना के रुप में परिलक्षित होती है।”


उन्होंने कहा कि लोगों को निश्चिय ही उन मूल्यों को अपनाना चाहिए जो भारतीय संस्कृति के हृदय में है।

सत्यार्थी ने आरएसएस के समारोह में कहा, “हमारी संस्कृति ठहरे हुए जल का तालाब नहीं है, बल्कि यह लगातार बहने वाली नदी है जो झरनों और सहायक नदियों को जन्म देती है। हम भारतीय एक विशेष निरंतर आत्मसुधार की अनोखी गुणवत्ता के साथ जन्में हैं और हमें निश्चिय ही इसपर गर्व होना चाहिए।”

उन्होंने वहां उपस्थित युवाओं से कहा, “दूसरों की नकल करने या उनका पीछा करने के बजाए आपको अपनी सहज सांस्कृतिक ताकत को पहचानना चाहिए और इससे आत्मसम्मान प्राप्त करना चाहिए।”


 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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