Earth Hour 2021: पिछले कुछ दिनों से समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, विभिन्न टीवी चैनलों और इंटरनेट पर अर्थ ऑवर (Earth Hour) की चर्चा चल रही हैl जिसके कारण हर किसी के मन में यह उत्सुकता हो सकती है कि अर्थ ऑवर (Earth Hour) क्या है और किस कारण से यह इतनी चर्चा में है? इस लेख में हम यही जानने की कोशिश कर रहे है कि आखिर यह अर्थ ऑवर (Earth Hour) क्या है और यह किस प्रकार हमारे लिए महत्वपूर्ण है?
अर्थ ऑवर (Earth Hour) क्या है?
अर्थ ऑवर (Earth Hour) “विश्व वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन (WWF)” द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है जिसका उद्देश्य लोगों को बिजली के महत्व के बारे में और पर्यावरण सुरक्षा के बारे में जागरूक करना हैl इसका मुख्यालय सिंगापुर में हैl
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई लोगों के विचार जानने के उद्देश्य से 2004 में विश्व वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन की ऑस्ट्रेलियाई शाखा और विज्ञापन एजेंसी लियो बर्नेट सिडनी (Ad agency leo burnett sydney) के बीच एक विचार-विमर्श गोष्ठी का आयोजन किया गयाl इस गोष्ठी में हुए विचार-विमर्श के आधार पर 2006 में “द बिग फ्लिक” नाम से एक ऐसे अभियान की रूपरेखा तैयार की गई जिसका उद्देश्य बड़े स्तर पर देश में बिजली के उपकरणों को बंद करना थाl विश्व वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन की ऑस्ट्रेलियाई शाखा ने इस संकल्पना को “फेयरफैक्स मीडिया” और सिडनी के मेयर “लॉर्ड क्लोवर मूर” के सामने प्रस्तुत किया, जिन्होंने इस आयोजन के लिए अपनी सहमति प्रदान की थीl
परिणामस्वरूप 31 मार्च, 2007 को सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में स्थानीय समय के अनुसार शाम 7:30 बजे पहली बार अर्थ आवर (Earth Hour) का आयोजन किया गया थाl इसके बाद से हर वर्ष मार्च महीने के हर अंतिम शनिवार को पूरे विश्व में एक घंटे के लिए अर्थ आवर (Earth Hour) मनाया जाता है और बिजली के सारे बल्बों को बंद कर दिया जाता हैl
2007 में हुई थी अर्थ आवर की शुरुआत
अर्थ आवर की शुरुआत वर्ष 2007 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर से हुई थी और धीरे-धीरे यह दुनियाभर में पॉपुलर हो गया। 2008 में 35 देशों ने अर्थ आवर डे में हिस्सा लिया। अब अर्थ आवर डे में 178 देश शामिल हो गए हैं।
मार्च के आखिरी शनिवार को मनाया जाता है ये दिन
आमतौर पर अर्थ आवर हर साल मार्च के आखिरी शनिवार को मनाया जाता है। कई लोग कैंडल जलाकर अर्थ आवर को सेलिब्रेट करते हैं।
अर्थ आवर की जरूरत क्या है?
सवाल है कि हमें क्यों इसका हिस्सा बनना चाहिए। इस अभियान में एक घंटे के लिए बिजली बचा लेने से कोई बड़ा बदलाव तो नहीं हो जाएगा। लेकिन एक दिन लिए की गई कोशिश और लोगों की एकजुटता में यह सन्देश देने की कोशिश करते हैं कि बिजली बचाएं। कोशिश करें कि क्लाइमेट में तेजी से हो रहे बदलाव के प्रति लोगों को जागरूक करें।
विश्व वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन (WWF)
वर्ष 2017 में अर्थ आवर (Earth Hour) का आयोजन 25 मार्च को रात्रि 8.30 – 9.30 तक किया गया था। ऐसी उम्मीद है कि इस अवसर पर दुनिया भर के 172 से अधिक देशों के लगभग 10,400 से अधिक प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक इमारतों की लाइटें बंद की गयी थी l इस अभियान के तहत दुनिया भर के लोगों को बिजली बचाने और पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूक किया जाता है।
भारत द्वारा ऊर्जा संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदम
कुछ वक्त पहले तक भारत में एडिसन बल्ब का ही इस्तेमाल किए जाते थे, जो तकरीबन पीली रोशनी देते थे और बहुत बिजली खाते थे। इसके बाद हाल के सालों में सीएफएल का प्रयोग किया जाता था और इसके बारे में धारणा यह थी कि यह काफी कम बिजली की खपत करता है और अच्छी दूधिया रौशनी देता हैl हालांकि अब सीएफएल को टक्कर देने के लिए भारतीय बाजार में एलईडी बल्ब भी आ गया है। यह एलईडी बल्ब ना के बराबर बिजली खाता है और बढ़िया रौशनी भी देता हैl