Eid Milad-Un-Nabi 2019: आज है ईद-मिलाद-उन-नबी, जानें पैगंबर मोहम्मद से जुड़े इस त्योहार के बारे में

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Eid Milad-Un-Nabi 2019: 10 नवंबर को है ईद-मिलाद-उन-नबी, जानें पैगंबर मोहम्मद से जुड़े इस त्योहार के बारे में

Eid Milad-Un-Nabi 2019: ईद-मिलाद-उन-नबी (Eid Milad-Un-Nabi) या ईद-ए-मिलाद (Eid-Ul-Milad) आज 10 नवंबर, 2019 को मनाया जा रहा है। मुसलमानों के इस त्योहार को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब (Prophet Hazrat Muhammad) के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। पैगंबर हजरत मोहम्मद आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी माने जाते हैं, जिन को खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल द्वारा कुरान का सन्देश दिया था।मुस्लिम इनके लिए हमेशा परम आदर भाव रखते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्‍लाम के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल (RabI-ul-Awwal) की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन ही मोहम्मद साहेब जन्मे थे। यहां जानिए ईद-मिलाद-उन-नबी और पैगंबर हजरत मोहम्मद के बारे में और खास बातें…

कौन थे पैगंबर हजरत मोहम्मद?

पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Hazrat Muhammad’s (SAWW) था। पैगंबर हजरत मोहम्मद आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी माने जाते हैं, जिन को खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल द्वारा कुरान का सन्देश दिया था। उनका जन्म सऊदी अरब के मक्का शहर में हुआ। इनके पिता का नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब और माता का नाम बीबी अमिना था। कहा जाता है कि 610 ईं. में मक्का के पास हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। हजरत मोहम्मद ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की विधवा से शादी की। उनकी एक बेटी का अली हुसैन से निकाह हुआ। पैगंबर मोहम्मद का 632 ई. में निधन हो गया। उन्हें मदीना में दफनाया गया।


क्यों मनाते हैं ईद-मिलाद-उन-नबी?

ईद-मिलाद-उन-नबी त्योहार को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब (Prophet Hazrat Muhammad) के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन रात भर प्रार्थनाएं चलती हैं। जुलूस निकाले जाते हैं। सुन्नी मुसलमान इस दिन हजरत मोहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं और याद करते हैं। वहीं, शिया मुसलमान मोहम्मद को अपना उत्तराधिकारी मानते हैं।

कैसे मनाते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी?

पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस के अवसर पर घरों और मस्ज़िदों को सजाया जाता है। नमाज़ों और संदेशों को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों को दान दिया जाता है। उन्हें खाना खिलाया जाता है। जो लोग मस्जिद नहीं जा पाते वो घर में कुरान पढ़ते हैं। मान्यता है कि ईद-मिलाद-उन-नबी के दिन कुरान का पाठ करने से अल्लाह का रहम बरसता है।


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