एक्टिविस्ट ने पीड़िता के परिवार के नार्को टेस्ट पर रोक लगाने की मांग की

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प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक सामाजिक कार्यकर्ता (सोशल एक्टिविस्ट) साकेत गोखले ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख कर उत्तर प्रदेश सरकार के हाथरस मामले में पीड़िता के परिवार का नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।

शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में, गोखले ने तर्क दिया है कि राज्य सरकार का यह निर्णय न केवल गैरकानूनी है, बल्कि पीड़िता के परिवार के साथ जबरदस्ती करने का भी प्रयास है।


उन्होंने आरोप लगाया है कि पीड़िता के परिवार का नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराना प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है, क्योंकि वे न तो मामले में आरोपी हैं और न ही उन पर कोई अपराध का आरोप है।

कार्यकर्ता ने कहा है कि परिवार के नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराने का राज्य सरकार का निर्णय हाईकोर्ट की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का प्रयास है।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2 अक्टूबर को, एक प्रेस नोट जारी किया था जिसमें कहा गया था कि मामले में शामिल सभी लोगों पर ‘नार्को-एनालिसिस पॉलीग्राफ टेस्ट’ किया जाएगा।


पीड़िता के परिवार ने यह कहते हुए नार्को-टेस्ट कराने के विचार को पहले ही ठुकरा दिया था कि वे झूठ नहीं बोल रहे हैं।

इससे पहले, 1 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सभी संबंधित अधिकारियों और पीड़िता के परिवार को 12 अक्टूबर को घटना के अपने वर्जन पेश करने के लिए समन जारी करते हुए मामले का संज्ञान लिया था।

आरोप है कि हाथरस जिले के एक खेत में चार लोगों ने 19 वर्षीय लड़की को खींच कर कथित रूप से उसके सात सामूहिक दुष्कर्म किया था। वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। यह दर्दनाक घटना 14 सितंबर को हुई थी। इसके बाद एक पखवाड़े तक गंभीर चोटों से जूझने के बाद उसकी मौत हो गई।

एडीजी प्रशांत कुमार ने दावा किया था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है।

हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता की मौत पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने शनिवार रात घोषणा की थी वह इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर रही है।

–आईएएनएस

वीएवी-एसकेपी

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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