उत्तर प्रदेश का इटावा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकबार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अशोक कुमार दोहरे ने सपा के प्रेमदास कठेरिया को मात दी थी। लेकिन इस बार आगरा से बीजेपी सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया इस सीट से चुनाव मैदान में हैं तो इटावा से वर्तमान भाजपा सांसद अशोक दोहरे कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं। सपा-बसपा गठबंधन ने पूर्व सांसद प्रेमदास कठेरिया के बेटे कमलेश कठेरिया को मैदान में उतारकर 2014 के चुनाव में गई सीट को फिर से कब्जाने की रणनीति बनाई है।
इटावा लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं।
मध्य उत्तर प्रदेश में चंबल और यमुना के दोआब में स्थित इटावा उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर और लोकसभा क्षेत्र है। इटावा आगरा के दक्षिण-पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। इस शहर में कपास और रेशम बुनाई के उद्योग और तिलहन मिलें हैं। यहां पर शेरों के संरक्षण के लिए इटावा सफारी अभ्यारण्य है। सुमेर सिंह का किला, चम्बल, जुगरामऊ गांव, टैक्सी मंदिर, बाबरपुर, बकेवर, चकरनगर, जसौहारन, अहीरपुर, प्रताप नगर और सरसईनावर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। इटावा की जामा मस्जिद भी काफी प्रसिद्ध है। कांग्रेस के जनक एओ ह्यूम भी यहां के जिला कलक्टर रहे हैं।
इटावा लोकसभा सीट का इतिहास
इटावा जनपद की पहचान समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की कर्मस्थली के रूप में की जाती है। वर्ष 1967, यानी मुलायम सिंह यादव ने जब से राजनीति में कदम रखा तब से यह जनपद प्रदेश की राजनीति में खासा रसूख रखता है। मुलायम सिंह यादव सात बार जसवंतनगर विधान सभा सीट से विधायक चुने गये उसके बाद उनके भाई शिवपाल सिंह यादव चार बार। इसका असर रहा और यहां संसदीय सीट पर सपा का ही कब्जा रहा।
इटावा लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से चार-चार बार सपा और कांग्रेस ने जीत हासिल की है। जबकि दो बार बीजेपी और एक-एक बार बसपा, जनता दल, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी जीत दर्ज की हैं। इस सीट पर भाजपा ने पहली बार 1998 में जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद 1999 से 2014 तक इस सीट पर सपा का कब्जा रहा। 2009 में परिसीमन के बाद इटावा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो गई और यहां से सपा के प्रेमदास कठेरिया ने जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में मोदी लहर के सहारे अशोक कुमार दोहरे बीजेपी का कमल खिलाने में कामयाब रहे।
2014 का लोकसभा चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में आरक्षित संसदीय इटावा में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े अशोक कुमार दोहरे ने सपा के प्रेमदास कठेरिया को करीब 1,72,946 वोटों से हराया था। अशोक कुमार दोहरे को तब यहां करीब 4,39,646 वोट तो वहीं प्रेमदास कठेरिया को करीब 2,66,700 वोट प्राप्त हुए थे। लेकिन इस बार दोहरे के कांग्रेस में आ जाने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है।
इटावा संसदीय सीट का समीकरण
इटावा लोकसभा क्षेत्र के अंदर कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं – इटावा, भरथना, दिबियापुर, औरैया और सिकंदरा। भरथना सीट पर सपा बाकी चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। जिले की जसवंत नगर विधानसभा सीट मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में आती है। यहां से शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं। यहां लगभग 17 लाख मतदाता हैं जिसमें सबसे अधिक दलित मतदाता हैं। अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 26.79 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.02 फीसदी है। इसके अलावा इटावा संसदीय सीट पर ओबीसी समुदाय में यादव और शाक्य मतदाताओं के साथ-साथ राजपूत मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं। जबकि 7 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।
इस बार इटावा में मुकाबला कठेरिया बनाम कठेरिया का माना जा रहा है। मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने भी इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार उतारा है। प्रसपा ने इस सीट पर शंभू दयाल दोहरे को अपना उम्मीदवार बनाया है।
निवर्तमान सांसद: अशोक दोहरे
लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे
अशोक दोहरे (भाजपा)- 4,39,646
प्रेमदास कठेरिया (सपा)- 2,66,700
अजय जाटव (बसपा)- 1,92,804
हंसमुखी (कांग्रेस)- 13,397
2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रमुख उम्मीदवार
- अशोक कुमार दोहरे, कांग्रेस
- डॉक्टर राम शंकर कठेरिया, भाजपा
- कमलेश कठेरिया, सपा
चौथे चरण के चुनाव लिए महत्वपूर्ण तिथियां
अधिसूचना जारी | 2 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 9 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 10 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 12 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 29 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |