बिहार का गोपालगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकबार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज की सीट से बीजेपी के जनक राम ने कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. ज्योति भारती को हराया था। जेडीयू के अनिल कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार सीट शेयरिंग में गोपालगंज सीट जदयू के हिस्से में आई है और पार्टी ने आलोक कुमार सुमन को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, महागठबंधन खेमे से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सुरेंद्र राम को टिकट दिया है।
गोपालगंज लोकसभा सीट पर छठे चरण में 12 मई को वोट डाले जाने हैं।
गंडक नदी के किनारे पर स्थित गोपालगंज बिहार का एक जिला है। इस इलाके की सीमाएं चंपारण, सीवान जिले के साथ ही उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से जुड़ती हैं। कई छोटी बड़ी नदियों से घिरे होने के कारण यह क्षेत्र बेहद उपजाऊ है। यहां गन्ना उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। यह क्षेत्र बिहार की राजधानी पटना से करीब 147 किलोमीटर दूर है।
गोपालगंज लोकसभा सीट का इतिहास
गोपालगंज आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का पैतृक जिला रहा है और जेपी आंदोलन के बाद से ही सियासी केंद्र में रहा है। इस सीट पर लालू और उनके परिवार का वर्चस्व लंबे समय तक रहा है। 11 जून 1948 को गोपालगंज के फुलवरिया गांव में लालू यादव का जन्म हुआ था। लेकिन जेपी आंदोलन के दौरान लाइमलाइट में आने के बाद उन्होंने गोपालगंज के पड़ोसी सारण सीट को अपना सीट बनाया। लालू के साले साधु यादव ने गोपालगंज सीट का प्रतिनिधित्व किया।
गोपालगंज 1976 में सारण से अलग होकर जिला बना। यह बिहार के पिछड़े जिलों में गिना जाता है। वर्ष 2009 से यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। पूर्व में यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा। यहां वर्ष 1962 से 1977 तक लगातार चार बार कांग्रेस के द्वारिकानाथ तिवारी सांसद चुने गए। 1980 में कांग्रेस के नगीना राय सांसद बने। 1999 में जेडीयू के रघुनाथ झा इस सीट से जीते। 2004 में आरजेडी के टिकट पर लालू यादव के साले अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2009 में जदयू के पूर्णमासी राम सांसद चुने गए। मोदी लहर में 2014 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के जनक राम सांसद चुने गए।
2014 का लोकसभा चुनाव
2014 के चुनाव में मोदी लहर के कारण अपने प्रतिद्वंद्वी को बड़े अंतर से पराजित कर जनक राम लोकसभा में पहुंचने में कामयाब रहे थे। जनक राम को 478773 मत मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी डॉ. ज्योति को 191837 मतों से संतोष करना पड़ा था। जेडीयू के अनिल कुमार 1,00,419 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।
गोपालगंज संसदीय सीट का समीकरण
गोपालगंज संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचाइकोट, भोरे और हथुआ। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 2-2 बीजेपी और जेडीयू को मिलीं जबकि आरजेडी और कांग्रेस को 1-1 सीट पर सफलता मिली। गोपालगंज संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,349,072 है. इसमें से 729,998 पुरुष वोटर और 619,074 महिला वोटर हैं।
गोपालगंज में यादव,मुस्लिम,ब्राह्मण,वैश्य,कुर्मी,भूमिहार,कुशवाहा और महादलितों की आबादी है। हर वर्ष इन जातियों की गोलबंदी भी चुनावी जीत-हार में अहम फैक्टर बनती रही है।
गोपालगंज लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। एक तरफ एनडीए जहां राष्ट्रवाद और विकास के मुद्दे पर वोट मांग रही है वहीं महागठबंधन जातीय मुद्दों और मोदी सरकार की विफलताओं को लेकर जनता के बीच जा रही है। जदयू प्रत्याशी आलोक कुमार सुमन पेशे से डॉक्टर हैं और इसी साल पार्टी में शामिल हुए हैं। वह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। वहीं राजद उम्मीदवार सुरेंद्र राम उर्फ महंत पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इनकी पत्नी बरौली में प्रखंड प्रमुख हैं।
अब इस सीट से चाहे एनडीए जीते या महागठबंधन, यहां के लोगों को नया सांसद मिलना तय है। गोपालगंज में अब्दुल गफूर और द्वारिका नाथ तिवार को छोड़कर कोई नेता इस सीट से दो बार चुनाव नहीं जीत सका है। द्वारिका नाथ यहां से चार बार और अब्दुल गफूर दो बार सांसद रह चुके हैं।
निवर्तमान सांसद: जनक राम
लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे
जनक राम, बीजेपी – 4,78,773
डॉ ज्योति भारती, कांग्रेस – 1,91,837
अनिल कुमार, जेडीयू – 1,00,419
2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रमुख उम्मीदवार
- आलोक कुमार सुमन, जदयू/एनडीए
- सुरेंद्र राम, राजद/महागठबंधन
- कुणाल किशोर विवेक, बहुजन समाज पार्टी
छठे चरण के चुनाव लिए महत्वपूर्ण तिथियां
अधिसूचना जारी | 10 अप्रैल |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 16 अप्रैल |
नामांकन पत्र की जांच | 23 अप्रैल |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 24 अप्रैल |
मतदान की तारीख | 12 मई |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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