बिहार का कटिहार लोकसभा क्षेत्र एक बार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। कटिहार, बिहार की उन चुनिंदा सीटों में से एक है जहाँ 2014 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा जीतने में कामयाब नहीं रही थी। पिछले चुनाव में कटिहार सीट से भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार सांसद चुने गए निखिल कुमार चौधरी चुनाव हार गए थे। एनसीपी के टिकट पर तारिक अनवर पांचवीं बार संसद पहुंचे थे। इस बार तारिक अनवर ने पार्टी बदल ली है और वह कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। वहीं, एनडीए खेमे से दुलार चंद गोस्वामी जदयू उम्मीदवार हैं।
कटिहार लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे।
कटिहार बिहार-पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित जिला है। पहले यह पूर्णिया जिले का एक हिस्सा था। इसका इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है। मुगल शासन के अधीन इस जिले की स्थापना सरकार तेजपुर ने की थी। 13वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां पर मोहम्मद्दीन शासकों ने राज किया। ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए यहां के लोगों द्वारा किए गए आंदोलन को कटिहार आंदोलन के नाम से जाना जाता है। यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बागडोगड़ा (सिलीगुड़ी के निकट) है। कटिहार रेलवे स्टेशन रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। पूर्वोतर के राज्यों में आवागमन का प्रमुख रेल मार्ग बरौनी-कटिहार-गुवाहाटी ही है और मुख्य पांच अलग-अलग रेल रुटों में ट्रेनों का आवागमन यही से होता है। कटिहार मेडिकल कॉलेज यहां का प्रमुख चिकित्सा शिक्षा संस्थान है।
कटिहार लोकसभा सीट का इतिहास
कटिहार क्षेत्र तारिक अनवर का गढ़ माना जाता है। यहां से वे 5 बार सांसद रह चुके हैं। बीजेपी के निखिल कुमार चौधरी भी यहां से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। अतीत पर गौर करें तो 1957 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह जीते थे। 1958 में उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस के बी. विश्वास के हाथ जीत लगी। 1962 में यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की प्रिया गुप्ता ने चुनाव जीता था। 1967 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से सीताराम केसरी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1977 में जनता पार्टी के युवराज ने यहां से चुनाव जीता।
1980 में कांग्रेस के तारिक अनवर ने यहां से चुनाव जीता। 1984 में भी तारिक अनवर के हाथ सफलता लगी। लेकिन 1989 में जनता दल के युवराज ने चुनाव जीता। 1991 में जनता दल ने यहां से मोहम्मद सुनूस सलीम को उतारा जिन्होंने तारिक अनवर को शिकस्त दी। लेकिन इसके बाद 1996 और 1998 के चुनाव में तारिक अनवर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे।
25 मई 1999 को तारिक अनवर ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का विरोध करते हुए कांग्रेस छोड़ दिया और शरद पवार और पी. सांगमा के साथ मिलकर एनसीपी यानि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया। 1999 में तारिक अनवर एनसीपी के टिकट पर कटिहार से चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन बीजेपी के निखिल चौधरी के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। 2004 और 2009 के चुनाव में भी यहां से निखिल चौधरी जीतकर संसद पहुंचे।
2014 के मोदी लहर के बावजूद एनसीपी नेता तारिक अनवर जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने निखिल चौधरी को शिकस्त दी। उनको 4,31,292 वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के निखिल कुमार चौधरी को 3,16,552 वोट मिले। जेडीयू के राम प्रकाश महतो को 1,00,765 वोट मिले। जबकि जेएमएम के बालेश्वर मरांडी को 33,593 वोट मिले. इससे पहले निखिल कुमार चौधरी ने तारिक अनवर को 14,015 वोटों से हराया।
कटिहार संसदीय सीट का समीकरण
कटिहार संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी। 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में इन 5 सीटों में से 2 बीजेपी, 2 कांग्रेस, एक आरजेडी और एक सीट CPI(ML)(L) ने जीती थी। कटिहार संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,272,769 है। इनमें से 675,944 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 596,825 है। कटिहार सीट पर मुस्लिमों के अलावा यादव और सवर्ण वोटरों का दबदबा है। इसके अलावा इस सीट पर आदिवासियों का वोट भी गेम चेंजर साबित हो सकता है।
निवर्तमान सांसद: तारिक अनवर
लोकसभा चुनाव 2014
तारिक अनवर, राकांपा (NCP) – 4,31,292
निखिल चौधरी, भाजपा – 316552
डॉ राम प्रकाश महतो, जेडीयू – 1,00,765
2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रमुख उम्मीदवार
- तारिक अनवर, कांग्रेस
- दुलार चंद गोस्वामी, जेडीयू
दूसरे चरण के चुनाव लिए महत्वपूर्ण तिथियां
अधिसूचना जारी | 19 मार्च |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 26 मार्च |
नामांकन पत्र की जांच | 27 मार्च |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 29 मार्च |
मतदान की तारीख | 18 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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