किशनगंज लोकसभा सीट: मुस्लिम बहुल क्षेत्र पर AIMIM के आने से दिलचस्प हो गया है मुकाबला

  • Follow Newsd Hindi On  
किशनगंज लोकसभा सीट: मुस्लिम बहुल क्षेत्र पर AIMIM के आने से दिलचस्प हो गया है मुकाबला

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के तहत देश भर की 95 सीटों पर आज 18 अप्रैल को वोट डाले जा रहे हैं। इनमें बिहार की 5 सीटें भी हैं जहां मतदान हो रहे हैं। बिहार के सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज लोकसभा सीट पर भी सांसद चुनने के लिए मतदान जारी है। यहां 10 बजे तक 15.5 फीसदी मत डाले जा चुके हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों का गेटवे कहे जानेवाला किशनगंज को बिहार का चेरापूंजी कहा जाता है। किशनगंज लोकसभा निवार्चन क्षेत्र एक बार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने करीबी प्रतिद्वंदी बीजेपी के डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को शिकस्त दी थी। इसके अलावा जेडीयू के अख्तारुल इमान तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मो. जावेद के सामने जहां यह सीट बचाने की चुनौती है तो वहीं जदयू के सैयद महमूद अशरफ विकास के बल पर नैया पार लगाने की जुगत में है। वहीं एमआइएम प्रत्याशी अख्तरुल ईमान भी मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं।


किशनगंज लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोट डाले जा रहे हैं। यहां 10 बजे तक 15.5 फीसदी मतदान हो चुके हैं।

बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से सटा किशनगंज पहले पूर्णिया जिले का अनुमंडल था, लेकिन साल 1990 में यह जिला बन गया। अतीत की ओर झांके तो किशनगंज का संबंध महाभारत काल, बौद्ध व पाल काल से रहा है। सूर्यवंशियों का शासन होने के कारण इस इलाके को सुरजापुर भी कहा जाता है। प्रकृति की खूबसूरत वादियों को समेटे किशनगंज लोकसभा सीट का चुनाव इस बार दिलचस्प होगा। मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट को वीआईपी उम्मीदवारों की पसंदीदा सीट मानी जाती  है  ।

किशनगंज लोकसभा सीट का इतिहास

किशनगंज लोकसभा सीट पर 1952 से 16 बार हुए चुनाव में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी रही जिसने दो बार तिकड़ी लगाई। इसमें वर्ष1952 से 1957, 1962 व 1980, 1984 व 1989 में कांग्रेस को तिकड़ी लगाने का मौका मिला। वहीं 1991 व 1996 में लगातार दो बार जनता दल को जीत का मौका मिला। इस सीट पर कांग्रेस के जमीलुर रहमान व सीमांचल के गांधी मो. तस्लीमुद्दीन को तीन बार सांसद बनने का सौभाग्य मिला। तस्लीमुद्दीन को दो बार राजद व एक बार जनता दल से जीत मिली। वे 1996 में जनता दल व 1998 व 2004 में राजद से सांसद बने। किशनगंज से गैर कांग्रेसी उम्मीदवारों में वर्ष 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से लखन लाल कपूर, वर्ष 1977 में जनता पार्टी से हलीमुद्दीन अहमद सांसद बने थे।


मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण किशनगंज के मुस्लिम मतदाता ही प्रत्याशियों का भाग्य तय करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार एम जे अकबर, सैयद शहाबुद्दीन जैसे कद्दावरों को सांसद की राह दिखानेवाले इस लोकसभा की जनता का मिजाज अन्य लोकसभा क्षेत्रों से बिल्कुल अलग है। यहां चुनाव से एक दिन पहले मुस्लिम वोटों की गोलबंदी होती है। जिस तरफ इनका झुकाव हुआ उस प्रत्याशी की जीत तय है। हालांकि इस लोकसभा क्षेत्र में पूर्व में हुए अधिकांश चुनाव में केन्द्र की सत्ता के विपरीत ही प्रत्याशी को जीत मिली है। इस बार यह सीट जदयू के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट बन गई है।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीत दर्ज की थी। उनको 4 लाख 93 हजार 461 वोट मिले थे। उन्होंने अपनी करीबी प्रतिद्वंदी बीजेपी के डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को शिकस्त दी थी। साल 2014 के चुनाव में जायसवाल को 2 लाख 98 हजार 849 वोट मिले थे। इसके अलावा जेडीयू के अख्तारुल इमान को 55 हजार 822 वोटों से संतोष करना पड़ा था। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से आम आदमी पार्टी ने अलीमुद्दीन अंसारी को उतारा था, जिनको 15 हजार 10 वोट मिले थे।

किशनगंज संसदीय सीट का समीकरण

किशनगंज संसदीय क्षेत्र के दायरे में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं – बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचधामन, अमौर और बैसी। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 3 सीटों पर कांग्रेस, 2 सीटों पर जेडीयू और 1 सीट पर आरजेडी ने बाजी मारी थी। किशनगंज लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या 11 लाख 86 हजार 369 हैं। इसमें से महिला वोटरों की संख्या 5 लाख 61 हजार 940 हैं, जबकि पुरुष वोटरों की संख्या 6 लाख 24 हजार 429 है।

70 फीसदी मुस्लिम वोटर

साढ़े 16 लाख वोटरों वाली इस सीट पर 70 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। मात्र 30 फीसदी ही हिन्दू मतदाता हैं। ऐसे में सारा समीकरण मुस्लिम वोटरों पर ही निर्भर रहता है। इसमें भी सूरजापुरी बहुल इलाका होने के कारण करीब तीन लाख वोटर सूरजापुरी बिरादरी से आते हैं। ऐसे में इनकी संख्या भी चुनावी गणित को प्रभावित करती है। कांग्रेस का गढ़ मानी जानेवाली इस सीट पर वर्ष 2009 व 2014 के चुनाव में स्थानीय सूरजापुरी बिरादरी से आनेवाले मौलाना असरारुल हक कासमी ने ही कांग्रेस से जीत का ताज पहना था। लेकिन इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान नहीं लग रहा है।

निवर्तमान सांसद: दिसंबर 2018 में किशनगंज से सांसद मौलाना असरार-उल-हक़ क़ासमी का निधन हो गया था, जिसके बाद से यह सीट खाली है।

लोकसभा चुनाव 2014

मौलाना असरारुल हक, कांग्रेस- 4,93,461
डा. दिलीप कुमार जायसवाल, भाजपा- 2,98,849

2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रमुख उम्मीदवार

  • डॉ. मोहम्मद जावेद,  कांग्रेस
  • सईद महमूद अशरफ, जेडीयू
  • अख्तरुल इमान, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन

दूसरे चरण के चुनाव लिए महत्वपूर्ण तिथियां

अधिसूचना  जारी 19 मार्च
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 26 मार्च
नामांकन पत्र की जांच 27 मार्च
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 29 मार्च
मतदान की तारीख 18 अप्रैल
मतगणना की तारीख 23 मई

लोकसभा चुनाव 2019: दूसरे चरण में 18 अप्रैल को इन सीटों पर होगी वोटिंग, देखें राज्यवार सूची

बिहार: लोकसभा चुनाव में किस जिले में किस दिन होगा मतदान

(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)