कृष्ण-कन्हैया की नगरी मथुरा लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल है। मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक बार फिर से नया सांसद चुनने को तैयार है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी ने बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर जोरदार जीत हासिल की थी। उन्होंने रालोद अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी को हराया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हेमा मालिनी को इस बार भी उम्मीदवार बनाया है। वहीं, रालोद ने ठाकुर नरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। वे सपा, बसपा और रालोद गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी होंगे। कांग्रेस ने पार्टी के पुराने नेता महेश पाठक को मैदान में उतारा है।
मथुरा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होना है।
मथुरा लोकसभा सीट का इतिहास
मथुरा लोकसभा सीट पहले संसदीय चुनाव से ही राजनीतिक संग्राम होता रहा है। पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। लेकिन उसके बाद 1962 से 1977 तक तीन बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल को जीत मिली।
जनता दल ने 1980 में यहां से चुनाव जीता, लेकिन 1984 में एक बार फिर उसे यहां से जोरदार जीत मिली। इसके बाद यहां पर जीत के लिए कांग्रेस के लिए जीत का लंबा इंतजार शुरू हो गया और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। इसके बाद यहां लगातार 1991, 1996, 1998 और 1999 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। इस दौरान चौधरी तेजवीर सिंह लगातार 3 बार यहां से चुनाव जीते।
हालांकि, 2004 में कांग्रेस के लिए जीत का सूखा खत्म करते हुए मानवेंद्र सिंह ने वापसी कराई। 2009 में बीजेपी के साथ लड़ने वाले रालोद के जयंत चौधरी ने एकतरफा बड़ी जीत दर्ज की। लेकिन 2014 में चली मोदी लहर में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 50 फीसदी से अधिक वोट पाकर जीत दर्ज की।
अटल बिहारी की जब्त हो गई थी जमानत
पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को साल 1957 में जनसंघ ने तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में कांग्रेस के पुलिन बिहारी बनर्जी ने अटल जी को मात दी। वहीं, मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई। उन्हें महज 23 हजार 620 वोट मिले थे। वाजपेयी के समर्थन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख ने एक दिन में 14-14 सभाएं की। इसके बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी हार गए। हालांकि बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर वह लोकसभा पहुंचे।
मथुरा संसदीय सीट का समीकरण
मथुरा लोकसभा के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं- छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां मांट सीट पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी, जबकि बाकी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी। 2014 के आंकड़ों के अनुसार मथुरा लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख मतदाता हैं, इनमें 9.3 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला वोटर हैं।
मथुरा सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व रहा है। मथुरा में करीब तीन लाख 80 हजार जाट वोटर हैं। वहीं दो लाख 80 हजार ब्राह्मण, दो लाख ठाकुर और करीब एक लाख 75 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगे के चलते मुस्लिम और जाट समुदाय के बीच खाई गहरी हो गई थी। इसके अलावा सपा-बसपा और कांग्रेस को अलग-अलग चुनाव लड़ने का फायदा बीजेपी को मिला था। मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने विपक्ष का पूरी तरह से सफाया कर दिया था।
यूँ तो मथुरा सीट पर इस बार 12 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी की हेमा मालिनी और सपा-बसपा-रालोद के नरेंद्र सिंह के बीच ही माना जा रहा है। अगर जाट वोटर रालोद की तरफ झुकते हैं और मुस्लिम मतदाता भी गठबंधन प्रत्याशी को वोट करते हैं तो भाजपा के लिए मुकाबला कड़ा हो जाएगा। अगर पिछले चार चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो यह साफ हो जाता है कि हेमा मालिनी के लिए 17वीं लोकसभा में पहुँचना आसान नहीं होगा।
निवर्तमान सांसद : हेमा मालिनी
2014 का लोकसभा चुनाव
हेमा मालिनी, बीजेपी – 5,74,633
जयंत चौधरी, रालोद – 2,43,890
योगेश कुमार, बहुजन समाज पार्टी – 1,73,572
चन्दन सिंह, समाजवादी पार्टी – 36,673
2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रमुख उम्मीदवार
- हेमा मालिनी, बीजेपी
- ठाकुर नरेंद्र सिंह, रालोद
- महेश पाठक, कांग्रेस
दूसरे चरण के चुनाव लिए महत्वपूर्ण तिथियां
अधिसूचना जारी | 19 मार्च |
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि | 26 मार्च |
नामांकन पत्र की जांच | 27 मार्च |
नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 29 मार्च |
मतदान की तारीख | 18 अप्रैल |
मतगणना की तारीख | 23 मई |
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