एमडीएमके, एमएमके ने अडानी समूह की तमिलनाडु बंदरगाह विस्तार योजना का विरोध किया

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एमडीएमके महासचिव और राज्यसभा सदस्य वाइको ने कहा कि इस मामले पर 22 जनवरी के लिए दायर एक जन सुनवाई को रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि लोगों को परियोजना पर जानकारी इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया और कोरोनोवायरसमहामारी के बीच एक बड़ा जमावड़ा खतरनाक हो सकता है।


वाइको ने कहा कि अगर 22 जनवरी को बैठक आयोजित हुई तो वह पर्यावरणविदों के साथ जनसुनवाई में भाग लेंगे।

अडानी समूह ने 2018 में लार्सन एंड टुब्रो से 1,950 करोड़ रुपये में कट्टपल्ली बंदरगाह (मरीन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपर प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व वाली) में 97 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी।

वाइको ने कहा कि मरीन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपर ने बंदरगाह सुविधा को 330 एकड़ से बढ़ाकर 6,110 एकड़ करने का प्रस्ताव दिया है।


वाइको ने दावा किया कि प्रस्तावित विस्तार से तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के 82 गांवों में रहने वाले लगभग 1 लाख लोग प्रभावित होंगे।

मनिथनैया मक्कल कांची (एमएमके) नेता एमएच जवाहिरुल्लाह ने भी जनसुनवाई को रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर इस कार्यक्रम को आयोजित किया जाता है तो, उनके समर्थक बड़ी संख्या में इसमें शामिल होंगे।

जवाहिरुल्लाह ने कहा कि केंद्र सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों को निजी पार्टियों को सौंप रहा है और अडानी समूह को आठ बंदरगाह दिए गए हैं।

–आईएएनएस

आरएचए/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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