‘एनजीओ का काम भीख नहीं, हक दिलाना’

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नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)| देश में कई देशी व विदेशी स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) काम कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य वंचित वर्गो के लोगों की मदद करना है, लेकिन इन सभी के बीच एक ऐसा एनजीओ भी है जिसका लक्ष्य मात्र लोगों की मदद करना नहीं, बल्कि उन्हें स्वावलंबी बनाना है। यह कहना है एनजीओ ‘चाइल्डफंड इंडिया’ की मुख्य कार्यकारी अधिकारी व कंट्री डायरेक्टर नीलम मखीजानी का।

बच्चों के लिए काम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन की भारतीय शाखा चाइल्डफंड इंडिया के लक्ष्यों पर बात करते हुए नीलम ने आईएएनएस से कहा, “हमारा संगठन बच्चों व उनके माता-पिता को मदद देने वाले बाकी एनजीओ की तरह ही काम करता है, लेकिन हमारा तरीका थोड़ा अलग है। हम बच्चों व उनके माता-पिता की सरकार या कॉर्पोरेट्स की ओर से एकत्र होने वाले चंदे से ही मदद नहीं करते हैं, बल्कि हम उन्हें अपने पैरों पर खड़े होना और सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक बनाते हैं, ताकि उन्हें उनका हक मिले..भीख नहीं।”


वह कहती हैं, “साफगोई से कहूं तो दुनिया का कोई भी संगठन भारत या किसी भी देश के कोने-कोने तक जाकर वंचितों की मदद नहीं कर सकता है। इसलिए बेहतर है कि हम लोगों को स्वावलंबी बनाएं, ताकि वह अपने आसपास सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र की योजनाएं के बारे में जागरूक हों और खुद अपनी मदद कर सकें।”

चाइल्डफंड इंडिया भारत में कहां-कहां और क्या काम कर रहा है? इस बारे में पूछे जाने पर नीलम कहती हैं, “चाइल्डफंड इंडिया फिलहाल भारत के बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल सहित 15 राज्यों में काम कर रहा है।”

गरीबी रेखा से नीचे आने वाली गर्भवती महिलाओं का संगठन क्या कर रहा है? इस पर वह कहती हैं, “हम अपनी ओर से ऐसी महिलाओं को पोषक आहार और जरूरी टीके व दवाइयां उपलब्ध कराते हैं। इसके साथ ही हम यह ध्यान रखते हैं कि स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्या काम कर रहे हैं? उदाहरण के लिए अगर किसी महिला या बच्चे को आपातकाल चिकित्सा की जरूरत पड़ी तो संभवत: हम उनके पास इतनी जल्दी न पहुंच पाएं, लेकिन स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र उनकी मदद कर सकते हैं। चूंकि सरकार की मशीनरी मौजूद है, जिसे चलाना और इस्तेमाल करना भी जरूरी है।”


बच्चों के कल्याण की दिशा में अपने इसी योगदान के लिए चाइल्डफंड इंडिया को पिछले माह भारत सरकार की ओर से अपने क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए प्रह्लाद पी. छाब्रिया मेमोरियल ग्लोबल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार रेल व कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने चाइल्डफंड इंडिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी व कंट्री डायरेक्टर नीलम मखीजानी को सौंपा था।

देश में बाल अपराधों का आंकड़ा चिंताजनक है, इस दिशा में संगठन कितना सजग है? इस सवाल नीलम ने कहा, “हम बाल श्रम, सुरक्षा, पोषण, शिक्षा, अपराध स्वास्थ्य और रोजगार जैसे प्रमुख बिंदुओं पर काम करते हैं और बाल अपराध हमारे कार्यक्रम का एक प्रमुख बिंदु है। मैं एक उदाहरण देकर बताना चाहती हूं कि राजस्थान में बच्चों की तस्करी एक बड़ी समस्या है जिसकी जड़ गरीबी है। हम यहां अभिभावकों को अपना और अपने बच्चों का जीवन बेहतर बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं, क्योंकि किसी भी समस्या को खत्म करने के लिए उसकी जड़ तक जाना जरूरी है और ऐसे इलाकों में यह सब अपराध गरीबी के कारण ही होते हैं। हम बच्चों के जुड़े अपराधों और कम उम्र में शादी जैसे विषयों पर काम कर रहे हैं।”

नीलम चाइल्डफंड की कार्यप्रणाली पर बात करते हुए कहती हैं, “देखिए, हमारा मुख्य काम सरकारी प्रणालियों को सक्रिय करना होता है। चूंकि सरकारी प्रणालियां काम नहीं करती हैं, इसलिए उनका फायदा लोगों तक नहीं पहुंच पाता है। हम सरकारी प्रणालियों व मशीनरी को सक्रिय कर उनका फायदा लोगों तक पहुंचाने का काम करते हैं। हम लोगों को जागरूक करते हैं कि वह सरकारी योजनाओं का कैसे फायदा उठा सकते हैं।

उन्होंने कहा, “हम किसी को दूसरों पर निर्भर नहीं बनाना चाहते हैं। सरकार की ओर से जब वंचित लोगों के लिए कई कार्यक्रम और सुविधाएं हैं तो उन्हें दूसरों पर निर्भर क्यूं बनाना, उनका हक है जो उनको मिलना चाहिए। यह आत्मसम्मान की बात है। हम लोगों को उनके अधिकारों से रूबरू कराते हैं।”

चाइल्डफंड इंडिया की किस तरह की परियोजनाओं को बच्चों को किस तरह फायदा मिल रहा है, इसके बारे में जानकारी देते हुए नीलम कहती हैं, “हम फिलहाल सेफस्कूल परियोजना पर भी काम कर रहे हैं जहां बच्चों के साथ ही शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया जाता है। हम यहां शिक्षकों को सिखाते हैं कि बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए, ताकि वह अपनी परेशानी साझा कर सकें। इसके अलावा हमने एक और गतिविधि शुरू की है जहां किसी बच्चे को अगर कोई परेशानी है तो उसे वह कागज में ड्राइंग-पेंटिंग के माध्यम से बता सकता है। हम सभी बच्चों को इस गतिविधि को सिखा रहे हैं।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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