Bihar Assembly Elections 2020: चुनाव से पहले ऑनलाइन बनाए जा रहे फर्जी वोटर आईकार्ड, आयोग ने दिए जांच के आदेश

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Fake Voter ID Card

Bihar Assembly Elections 2020: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले पूरे देश में फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने वाले फर्जीवाडे का खुलासा हुआ है। कर्नाटक के वेल्लारी में मामला पकड़ में आने के बाद जब इसकी गई जांच में तो पता चला कि इस जालसाजी का नेटवर्क देशभर में फैला है।

इस फर्जीवाडे के सामने आने के बाद आयोग ने सभी राज्यों को इसकी जांच करने और कठोर कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं। आयोग के निर्देश पर बिहार के भी प्रत्येक जिले में जांच शुरू हो गई है। चुनाव आयोग के सचिव अजय कुमार ने सभी राज्यों को इसकी जांच का आदेश दिया है।


कर्नाटक सीईओ (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) ने ही चुनाव आयोग से पूरे देश में इसकी जांच कराने की अनुशंसा की है। उन्होंने कहा है कि उपायुक्त व  पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि वेल्लारी के एक कैफे में फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाए जा रहे थे। कैफे की जांच में यह बात सामने आई कि इस जालसाजी को ऑनलाइन भी चलाया जा रहा है।

इस फर्जीवाडे से देश की सुरक्षा व चुनाव प्रक्रिया को खतरा है। जांच में पता चला कि फर्जी इपिक पर निर्वाचन अधिकारी का हस्ताक्षर जाली तरीके से ही किया गया है। जब अधिकारियों ने गूगल में प्रिंट पोर्टल टाइप कर जांच की तो पता चला कि पूरे देश में इस तरह की वेबसाइट का जाल बिछा कई जगहों पर बिछा हुआ है, जो इपिक तैयार कर ग्राहकों को देते हैं।

वेल्लारी से पकड़ में आया फर्जी इपिक का धंधा


दरअसल इस फर्जीवाडे का पता तब चला जब वेल्लारी के आधार निर्माण केंद्र पर एक युवक पहुंचा। आधार कार्ड के लिए उसने अपने इपिक की फोटोकॉपी प्रस्तुत की। ओरिजनल इपिक मांगने पर उसने बताया कि उसका इपिक खो गया है। इस बातचीत के बाद वह अपना आवेदन लेकर चला गया। ठीक पांच घंटे बाद नए इपिक के साथ आधार बनवाने के लिए फिर आवेदन दिया।

फिर शक होने पर उसे आधार के लिए अगले दिन फिर से बुलाया गया और इसकी जांच शुरू की गई। पूछताछ में उसने इपिक बनाने वाले का पता दिया। इसके बाद वेल्लारी चुनाव कार्यालय का कर्मी वहां ग्राहक बनकर गया और इपिक का ऑर्डर दिया। उसका भी इपिक बना दिया गया।

कर्नाटक सीईओ ने साफ कहा है कि इस तरह पूरे देश में फर्जी इपिक के धंधे से देश की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मामला प्रकाश में आने के बाद यहां भी तेजी से कार्रवाई शुरू हो गई है। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को इसकी जांच कराने का आदेश दिया है।

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