भारत के पांचवे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद, जिन्होंने इंदिरा गांधी के कहने पर किए थे इमरजेंसी के दस्तावेज पर साइन

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भारत के पांचवे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद, जिन्होंने इंदिरा गांधी के कहने पर किए थे इमरजेंसी के दस्तावेज पर साइन

फखरुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवे राष्ट्रपति थे और दूसरे ऐसे राष्ट्रपति थे, जिनकी मृत्यु उनके कार्यकाल के दौरान हुई थी। वह फखरुद्दीन अली अहमद ही थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर इमरजेंसी के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे।

आज भारत के पांचवे राष्रपति रहे फखरुद्दीन अली अहमद की जयंती है। उनका जन्म 13 मई, 1905 को पुरानी दिल्ली में हुआ था। फखरुद्दीन अली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर-प्रदेश के गोंडा जिले के सरकारी हाई स्कूल से की थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली गवर्नमेंट के हाई स्कूल से अपनी मैट्रिक की शिक्षा पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए 1923 में इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड में उन्होंने सेंट कैथरीन कॉलेज, कैम्ब्रिज से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। लंदन से लौटने के बाद साल 1928 में वह लाहौर के हाई कोर्ट में वकालत करने लगे थे।


फखरुद्दीन अली अहमद का राजनैतिक करियर 

फखरुद्दीन अली अहमद को भारत की राजनीती में एक सफल राजनेता के रूप में देखा जाता है। भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले फखरुद्दीन अली भारत के राष्ट्रपति बने। वह महात्मा गांधी और पं. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व से काफी प्रभावित थे।

नेहरू जी के कहने पर फखरुद्दीन अली कांग्रेस में शामिल हो गए और आजादी की लड़ाई में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने 1940 में ‘सत्याग्रह आन्दोलन’ में भी भाग लिया था, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के लिए भी उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने कांग्रेस के लिए कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। वह साल 1935 में वह असम विधानसभा के सदस्य, 1936 में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने। साल 1938 में असम प्रदेश में वित्त, राजस्व और श्रम मंत्री भी रहे। स्वतंत्रता के बाद 1952 में फखरुद्दीन अली अहमद राज्यसभा के लिए चुने गए। बाद में वह असम सरकार में असम सरकार में एडवोकेट जनरल के पद पर भी रहे। वह दो बार असम विधानसभा के सदस्य, 1957 में चालिहा मंत्रिमंडल में मंत्री बने और 1971 में बारपेटा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सांसद चुने गए।


फखरुद्दीन अली अहमद का नेहरू और उनके परिवार के साथ बहुत अच्छा संबंध था जिसके चलते 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद, उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ रहने का फैसला किया। 29 अगस्त, 1974 को तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना। वह 1974 से 1977 अटक भारत के राष्ट्रपति रहे उनका कार्यकाल 11 फरवरी 1977 को उनकी मृत्यु के साथ समाप्त हुआ

इमरजेंसी में फखरुद्दीन अली अहमद की भूमिका

भारत में 25 जून 1975 की आधी रात को इमरजेंसी लागू कर दी गई थी, जो 21 मार्च 1977 तक रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस फैसले पर विवाद खड़ा हो गया था। इमरजेंसी के लिए इंदिरा गांधी के साथ फखरुद्दीन अली अहमद का नाम भी अहम है, क्योंकि इमरजेंसी के आदेश पर दस्तखत फखरुद्दीन अली ने ही किए थे।

12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के लोक सभा चुनाव को रद्द कर दिया था, क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप साबित हुए थे और उन्हें कुर्सी छोड़ने और छह साल तक चुनाव ना लड़ने के निर्देश मिले थे। लेकिन इंदिरा गांधी अपने पद से हटने के मूड में नहीं थी। इसके लिए उन्होंने इमरजेंसी लागू करवा दी थी। इस दैरान राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी। इसके लिए फखरुद्दीन अली को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

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